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43 किसानों के खिलाफ मुकदमे, आठ प्राविधिक सहायक व 16 लेखपाल पर भी कार्रवाई

tds_top_like_showtds_top_like_showtds_top_like_showtds_top_like_showtds_top_like_show चंदौली जिले में पराली जलाने को लेकर जिला प्रशासन की सख्ती के चलते एक अक्टूबर से 10 दिसंबर तक जहां 43 किसानों के खिलाफ मुकदमे की कार्रवाई की जा चुकी है, वहीं लापरवाही में आठ प्राविधिक सहायक व 16 लेखपाल विभागीय कार्रवाई के दायरे में आ चुके हैं। इसके साथ ही साथ ग्रामीण व नगरीय
 
43 किसानों के खिलाफ मुकदमे, आठ प्राविधिक सहायक व 16 लेखपाल पर भी कार्रवाई

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चंदौली जिले में पराली जलाने को लेकर जिला प्रशासन की सख्ती के चलते  एक अक्टूबर से 10 दिसंबर तक जहां 43 किसानों के खिलाफ मुकदमे की कार्रवाई की जा चुकी है, वहीं लापरवाही में आठ प्राविधिक सहायक व 16 लेखपाल विभागीय कार्रवाई के दायरे में आ चुके हैं।

इसके साथ ही साथ ग्रामीण व नगरीय इलाकों में कूड़ा, कचरा जलाने के आरोप में 12 लोगों के खिलाफ भी कार्रवाई की जा चुकी है। सभी जिला प्रशासन ने कड़ी चेतावनी दे रखी है कि किसानों व अन्य के उत्पीड़न के नाम पर किसी को राहत देने का कोई इरादा नहीं है। प्रशासन का दो टूक जवाब है कि हर किसी को हर हालात में कोर्ट के आदेश का अनुपालन करना है।

कृषि प्रधान जनपद में पराली को लेकर हाय-तौबा मची है। प्रशासन किसी भी सूरत में पराली जलाने को लेकर ढील देना नहीं चाहता है। इससे बड़े किसानों को मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। हार्वेस्टर से धान काटने में रीपर का प्रयोग अनिवार्य करने से किसान परेशान हैं। हालांकि कार्रवाई के भय से येन-केन प्रकारेण किसान रीपर का इंतजाम कर रहे हैं, लेकिन गेहूं की पिछड़ रही खेती से उनकी मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं। पराली नहीं जलाने को लेकर प्रशासन की ओर से चलाए जा रहे अभियान में एक अक्टूबर से 10 दिसंबर तक 55 लोगों के खिलाफ कार्रवाई की जा चुकी है। वहीं लापरवाही बरतने पर कृषि विभाग के आठ प्राविधिक सहायक व 16 लेखपालों के खिलाफ विभागीय कार्रवाई की जा चुकी है। कृषि विभाग के दो कर्मचारियों व दो लेखपालों को भी निलंबित किया जा चुका है।

इसके साथ साथ शासन ने निराश्रित गोवंश स्थलों में पराली भेजने का निर्देश दिया है ताकि पराली का उचित निस्तारण कराया जा सके। अब तक 20 टन पराली निराश्रित गोवंश स्थलों को भेजी जा चुकी है।

उप कृषि निदेशक विजय सिंह बोले

पराली नहीं जलाने को लेकर किसानों को जागरूक किया जा रहा है, ताकि कोर्ट के आदेश का अनुपालन किया जा सके। किसानों से अनुरोध है कि पराली कदापि न जलाएं। पराली निराश्रित गोवंश स्थलों को उपलब्ध कराएं।

 

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