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किसान विरोधी कानून के विरोध में आवाज उठाने को लेकर मजदूर किसान मंच ने किया आह्वान

tds_top_like_showtds_top_like_showtds_top_like_showtds_top_like_showtds_top_like_show चंदौली जिले के किसानों को भी किसान विरोधी कानून के विरोध में आवाज उठाने की जरूरत है। कोरोना संकट के आड़ में मोदी सरकार लगातार देश की सार्वजनिक संस्थाएं बेच रही है। करोना महामारी के चलते व्यापक विरोध नहीं हो पा रहा है। इसी का फायदा उठाकर देश की सबसे बड़ी सेक्टर खेती को भी
 
किसान विरोधी कानून के विरोध में आवाज उठाने को लेकर मजदूर किसान मंच ने किया आह्वान

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चंदौली जिले के किसानों को भी किसान विरोधी कानून के विरोध में आवाज उठाने की जरूरत है। कोरोना संकट के आड़ में मोदी सरकार लगातार देश की सार्वजनिक संस्थाएं बेच रही है। करोना महामारी के चलते व्यापक विरोध नहीं हो पा रहा है। इसी का फायदा उठाकर देश की सबसे बड़ी सेक्टर खेती को भी कारपोरेट को नीलाम करने की नियत से तीन कानून अलोकतांत्रिक तरीके से संसद में पेश कर कानून पास करा लिया गया। उक्त बातें आज शहाबगंज के कई गांवों में किसानों के बीच अपनी बातें रखतें हुए मजदूर किसान मंच के प्रभारी अजय राय ने कहा।

उन्होंने कि सरकार की तरफ से कहा जा रहा है कि किसानों को आजाद कर दिया हूं। लेकिन यह तीन कानून है पहला कृषि उपज, वाणिज्य एवं व्यापार कानून 2020,दूसरा मूल आश्वासन (बंदोबस्ती व सुरक्षा) समझौता कानून ,तीसरा आवश्यक वस्तु संशोधन कानून इसके अलावा बिजली बिल कानूनों के जरिए देश के कारपोरेट को खेती करने की छूट मिल जाएगा। मंडिया समाप्त कर दी जाएंगी और आवश्यक वस्तु के समाप्त होने से कोर्पोरेट को अधिक से अधिक भंडारण करने की छूट मिल जाएगा।


सरकार किसानों से अनाज खरीद नहीं करेगी तो जन वितरण प्रणाली भी समाप्त हो जाएगा और इससे करोड़ों लोगों के खाद्य संकट पैदा हो जाएगा। इसलिए संकट इतनी गहरी है कि देश के किसान उबाल पर है और आज पंजाब-हरियाणा मध्य प्रदेश राजस्थान महाराष्ट्र गुजरात के किसान दिल्ली कूच कर गए और दिल्ली को चारों ओर से घेर लिया है। सारे देश के किसान सड़क पर हैं। इसलिए देश के किसान इन काले कानूनों को वापस लेने तक आंदोलन चलाएंगे।

इसलिए हम मजदूर किसान मंच की तरफ से खुला पत्र के माध्यम से केन्द्र सरकार से मांग करते हैं कि इस काले कानून को वापस लिया जाए, क्योंकि यह कानून कार्पोरेट लूट का रास्ता प्रशस्त कर रहा है। देश के किसान इसे कदापि बर्दाश्त नहीं करेगा। इसके लिए चन्दौली के किसानों को भी विरोध में आगे आना चाहिए और सभी किसान संगठन को आवाज बुलंद करना चाहिए।

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