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निजीकरण व निगमीकरण के फैसले के खिलाफ बंदी से परेशान रहे लोग

tds_top_like_showtds_top_like_showtds_top_like_showtds_top_like_showtds_top_like_show चंदौली जिले में निजीकरण व निगमीकरण के फैसले के खिलाफ बैंककर्मी, एलआइसी व बीएसएनएल कर्मी गुरुवार को हड़ताल पर रहे। जिले में करीब 50 फीसद बैंक शाखाओं में कामकाज ठप रहा। हालांकि एसबीआइ समेत कई बैंक हड़ताल में शामिल नहीं रहे। इससे क्लीयरिग व धन जमा न होने से करीब 100 करोड़ का कारोबार प्रभावित
 
निजीकरण व निगमीकरण के फैसले के खिलाफ बंदी से परेशान रहे लोग

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चंदौली जिले में निजीकरण व निगमीकरण के फैसले के खिलाफ बैंककर्मी, एलआइसी व बीएसएनएल कर्मी गुरुवार को हड़ताल पर रहे। जिले में करीब 50 फीसद बैंक शाखाओं में कामकाज ठप रहा। हालांकि एसबीआइ समेत कई बैंक हड़ताल में शामिल नहीं रहे। इससे क्लीयरिग व धन जमा न होने से करीब 100 करोड़ का कारोबार प्रभावित रहा। बैंक बंद रहने से खाताधारकों को परेशानी का सामना करना पड़ा।

सेंट्रल आफ इंडियन ट्रेड यूनियन ने सरकार की निजीकरण की नीतियों के खिलाफ हड़ताल का आह्वान किया था। इसको लेकर बैंकों में हड़ताल रही। बैंककर्मी बैंकों में आए थे लेकिन कामकाज से दूर रहे। बैंकों के शटर उठा दिए गए लेकिन कामकाज कराने बैंक पहुंचने वालों को तमाम तरह की मुश्किलों का सामना करना पड़ा। काम न होने के चलते लोगों को बैरंग वापस लौटना पड़ा।

दरअसल हड़ताल की लोगों को पहले से जानकारी नहीं थी। ऐसे में लोग दूरदराज से अपना काम कराने के लिए बैंकों में आए थे। कई लोगों को पैसा निकालना था तो कुछ लोगों को पैसा जमा कराना था। लेकिन बैंक पहुंचे तो हड़ताल की जानकारी मिली। कर्मियों ने दूसरे दिन आने की बात कही। इससे लोगों को मायूसी हुई। रेवसा से आए रामधनी ने बताया कि हड़ताल होने की वजह से उनका काम नहीं हुआ। अब दोबारा आना पड़ेगा।

अखिल भारतीय बैंक कर्मचारी संघ (एआइबीइए) के बैनर तले गुरुवार को बैंक कर्मचारी ने हड़ताल की। बैंकों के शटर गिरे रहे। अचानक बैंकों के बंद होने से लोगों को परेशानी हुई। नगर के निजी बैंकों को छोड़कर यूनियन बैंक, इलाहाबाद बैंक, बैंक आफ बड़ौदा, सेंट्रल बैंक आफ इंडिया सहित अन्य बैंकों के कर्मचारी हड़ताल पर थे।

महामंत्री अश्वनी कुमार मिश्र ने कहा कर्मचारियों की पेंशन के लिए केवल एआइबीइए ने ही इसको अपनाने को कहा था बाकि सब संगठनों ने इसका विरोध किया था। जब बैंक ब्याज 12 प्रतिशत से घटकर आठ प्रतिशत पर आ गया, तब सब संगठनों ने एआइबीइए की दूरदर्शिता को महसूस किया और आग्रह किया कि एक पेंशन का अवसर और आना चाहिए।

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