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क्यों लगाते और बजाते हैं मंदिरों में घंटियां, ये होते हैं चमत्कारिक लाभ

tds_top_like_showtds_top_like_showtds_top_like_showtds_top_like_showtds_top_like_show हमारे हिन्दू धर्म में कहा जाता है कि पूजा करते वक्त घंटी जरूर बजानी चाहिए। इससे ईश्वर जागते हैं और आपकी प्रार्थना सुनते हैं, लेकिन हम आपको इससे अलग की खबर बताने की कोशिश कर रहे हैं कि घंटी बजाने का सिर्फ भगवान से ही कनेक्शन नहीं है, बल्कि इसका साइंटिफिक असर भी देखा जाता
 
क्यों लगाते और बजाते हैं मंदिरों में घंटियां, ये होते हैं चमत्कारिक लाभ

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हमारे हिन्दू धर्म में कहा जाता है कि पूजा करते वक्त घंटी जरूर बजानी चाहिए। इससे ईश्वर जागते हैं और आपकी प्रार्थना सुनते हैं, लेकिन हम आपको इससे अलग की खबर बताने की कोशिश कर रहे हैं कि घंटी बजाने का सिर्फ भगवान से ही कनेक्शन नहीं है, बल्क‍ि इसका साइंटिफिक असर भी देखा जाता है। अक्सर ऐसा देखा जाता है कि ज्यादातर घंटियां हमेशा मंदिर के प्रवेश स्थान पर लगाई जाती हैं या फिर भगवान की मूर्ति के सामने।

मंदिर घर का हो या किसी धार्मिक स्थल का। सार्वजनिक हो या नजी। वहां घंटी तो होती ही है। इसके पीछे धार्मिक कारण तो हैं ही साथ में इसका हमारे जीवन पर साइंटिफिक असर भी होता है। वैज्ञानिकों का कहना है कि जब घंटी बजाई जाती है तो वातावरण में कंपन पैदा होता है, जो वायुमंडल के कारण काफी दूर तक जाता है। इस कंपन का फायदा यह है कि इसके क्षेत्र में आने वाले सभी जीवाणु, विषाणु और सूक्ष्म जीव आदि नष्ट हो जाते हैं, जिससे आसपास का वातावरण शुद्ध हो जाता है। इससे हमें स्वास्थ्य लाभ होता है।

यही कारण है कि जिन जगहों पर घंटी बजने की आवाज नियमित आती रहती है, वहां का वातावरण हमेशा शुद्ध और पवित्र बना रहता है। इसी वजह से लोग अपने दरवाजों और खि‍ड़कियों पर भी विंड चाइम्स लगवाते हैं, ताकि उसकी ध्वनि से नकारात्मक शक्तियां हटती रहें। नकारात्मकता हटने से समृद्धि के द्वार खुलते हैं।

ये फायदे भी हैं
घंटी बजाने से देवताओं के समक्ष आपकी हाजिरी लग जाती है। मान्यता अनुसार घंटी बजाने से मंदिर में स्थापित देवी-देवताओं की मूर्तियों में चेतना जागृत होती है जिसके बाद उनकी पूजा और आराधना अधिक फलदायक और प्रभावशाली बन जाती है।

घंटी की मनमोहक एवं कर्णप्रिय ध्वनि मन-मस्तिष्क को अध्यात्म भाव की ओर ले जाने का सामर्थ्य रखती है। मन घंटी की लय से जुड़कर शांति का अनुभव करता है। मंदिर में घंटी बजाने से मानव के कई जन्मों के पाप तक नष्ट हो जाते हैं। सुबह और शाम जब भी मंदिर में पूजा या आरती होती है तो एक लय और विशेष धुन के साथ घंटियां बजाई जाती हैं जिससे वहां मौजूद लोगों को शांति और दैवीय उपस्थिति की अनुभूति होती है।

ऐसा कहा जाता है कि जब सृष्टि का प्रारंभ हुआ, तब जो नाद (आवाज) गूंजी थी। वही आवाज घंटी बजाने पर भी आती है। घंटी उसी नाद का प्रतीक है। यही नाद ‘ओंकार’ के उच्चारण से भी जागृत होता है। कहीं-कहीं यह भी लिखित है कि जब प्रलय आएगा उस समय भी ऐसा ही नाद गूंजेगा। मंदिर के बाहर लगी घंटी या घंटे को काल का प्रतीक भी माना गया है।

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