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सुहेलदेव जयंती के बहाने बीजेपी ने पंचायत चुनाव के पूर्व खेला बड़ा दांव

tds_top_like_showtds_top_like_showtds_top_like_showtds_top_like_showtds_top_like_show यूपी विधानसभा चुनाव में एक साल का समय है और पंचायत चुनाव का बिगुल बज चुका है। ऐसे में सभी राजनीतिक दलों की नजर सत्ता का सेमीफाइनल कहे जा रहे पंचायत चुनाव में अति पिछड़े मतदाताओं पर है। सभी दल एक के बाद एक दांव चल रहे हैं तो सुहेलदेव के नाम पर राजनीति शुरू
 
सुहेलदेव जयंती के बहाने बीजेपी ने पंचायत चुनाव के पूर्व खेला बड़ा दांव

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यूपी विधानसभा चुनाव में एक साल का समय है और पंचायत चुनाव का बिगुल बज चुका है। ऐसे में सभी राजनीतिक दलों की नजर सत्ता का सेमीफाइनल कहे जा रहे पंचायत चुनाव में अति पिछड़े मतदाताओं पर है।

सभी दल एक के बाद एक दांव चल रहे हैं तो सुहेलदेव के नाम पर राजनीति शुरू करने वाले ओमप्रकाश राजभर भागीदारी संकल्प मोर्चा के जरिये ओवैसी से गठबंधन कर मैदान में उतर चुके है। जबकि बीजेपी पिछले तीन चुनाव इन पिछड़ों के दम पर जीतने में सफल रही है। अब बीजेपी ने अति पिछड़े मतदाता उसे दूर न हों इसके लिए महाराजा सुहेलदेव की जयंती पर बहराइच में स्मारक स्थल की आधारशिला रखकर मास्टर स्ट्रोक खेल दिया है।

इससे यूपी की राजनीति में हलचल बढ़नी तय है। कारण है कि सलार मसूद के बहाने बीजेपी लगातार विपक्ष को निशाने पर लेती रही है। वैसे बीजेपी का यह दाव कितना सफल होगा और राजभर समाज किस हद तक उसके साथ खड़ा होगा यह तो समय बतायेगा लेकिन विपक्ष के लिए इस दाव का काट खोजना इतना आसान नहीं होगा।

बताते चलें कि कोई भी राजनीतिक दल यूपी की सत्ता तभी हासिल कर सकती है जब उसे अति पिछड़ों का साथ मिले। पिछले तीन दशक तक सपा और बसपा इन्हीं मतदाताओं के दम पर यूपी में राज करती रही है। वर्ष 2014 में बीजेपी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में लोकसभा चुनाव उतरी तो यहां के अति पिछड़े बीजेपी के साथ खड़े हुए। तब से आज तक अति पिछड़े बीजेपी के साथ पूरी मजबूती से खड़े हैं। चाहे वर्ष 2017 का विधानसभा चुनाव रहा हो या फिर 2019 का लोकसभा चुनाव अति पिछड़ों की पार्टी के प्रति गोलबंदी के कारण बीजेपी विपक्षियों के मजबूत गठबंधन को भी मात देने में सफल रही।

एक साल बाद वर्ष 2022 में यूपी में विधानसभा चुनाव होना है। मायावती पिछले नौ साल से सत्ता से दूर हैं तो सपा चार साल से सत्ता से बाहर है। दोनों ही दल पिछड़ों को अपने पक्ष में करने के लिए एक के बाद एक दाव चल रहे है। सभी को पता है कि पिछड़ों का साथ और पूर्वांचल में बड़ी जीत ही उन्हें सत्ता के सिंहासन तक पहुंचा सकती है। यूपी में करीब 8.5 प्रतिशत राजभर मतदाता है। इनकी संख्या पूर्वांचल में सर्वाधित है। पूर्वांचल में 10 से 11 प्रतिशत राजभर जाति के लोग रहते हैं।

ऐसे में सभी दलों का फोकश इन मतदाताओं पर है। मायावती से सबसे पहले दाव चलते हुए पूर्वांचल के मऊ जनपद के भीम राजभर को प्रदेश अध्यक्ष बनाकर इस जाति के मतदाताओं में सेंध लगाने की कोशिश की तो सपा ने पूर्वं मंत्री राम दुलार राजभर सहित कई नेताओं को मैदान में उतारा है। सुहेलदेव के नाम पर राजनीति शुरू करने वाले ओम प्रकाश राजभर पहले से राजभर मतदताओं को अपना वोट बैंक मानते रहे है। ओम प्रकाश ओवैसी के साथ गठबंधन कर विधानसभा चुनाव लड़ने की घोषणा कर चुके है। बीजेपी की तरफ से अब तक कमान कैबिनेट मंत्री अनिल राजभर ने संभाल रखी थी लेकिन अब यह कमान सीधे पीएम मोदी और सीएम योगी के हाथ में दिख रही है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व सीएम योगी ने महाराजा सुहेलदेव की जयंती पर बहराइच में महाराजा सुहेलदेव स्मारक स्थल की आधारशिला रख व सभी जिलों में कार्यक्रम आयोजित कर बड़ा दाव चल दिया है। इसे बीजेपी का मास्टर स्ट्रोक माना जा रहा है। कारण कि राजभर समाज के लिए महाराजा सुहेलदेव पूंजनीय हैं। ओमप्रकाश राजभर आजतक इस जाति के मतदाताओं को सुहेलदेव के नाम पर ही लामबंद करने की कोशिश करते रहे है। बीजेपी अब उन्हें सलार मसूद के नाम पर घेर राजभर समाज के दिल में उतरने की कोशिश कर रही है। बीजेपी का यह दाव कितना सफल होगा यह तो समय बतायेगा लेकिन यूपी की राजनीतिक सरगर्मी एका एक बड़ गयी है।

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