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कहो भइया..कहां गइल अबकी बार विधायक लोगन क JCB मशीन…!

tds_top_like_showtds_top_like_showtds_top_like_showtds_top_like_showtds_top_like_show चंदौली जिले में समाजवादी पार्टी के पूर्व विधायक मनोज सिंह डब्लू और भारतीय जनता पार्टी के विधायक सुशील सिंह की जेसीबी चुनाव के पहले खूब जोर शोर से घूमा करती थी और नालियों के साथ-साथ माइनरों की सफाई भी किया करती थी। पर अब अबकी बार यह दिखाई नहीं दे रही है जिससे लोगों में
 

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चंदौली जिले में समाजवादी पार्टी के पूर्व विधायक मनोज सिंह डब्लू और भारतीय जनता पार्टी के विधायक सुशील सिंह की जेसीबी चुनाव के पहले खूब जोर शोर से घूमा करती थी और नालियों के साथ-साथ माइनरों की सफाई भी किया करती थी। पर अब अबकी बार यह दिखाई नहीं दे रही है जिससे लोगों में तरह-तरह की चर्चा हो रही है। मनोज सिंह फिलहाल किसानों की समस्या दूर करने के लिए न तो आंदोलन कर रहे हैं और न ही विधायक सुशील सिंह सत्ता व सरकार में होते कुछ करने की पहल कर रहे हैं। जिससे किसान मायूस व उदासीन हो कर बैठा है। कुछ इलाकों में खुद सफाई करके अपना गुस्सा जाहिर कर रहे हैं।

लोगों का कहना है कि .. भैया चुनाव जब होई तबै  नेता जी लोगन के किसानन क याद आवै ले…नाहीं त उनके ठेकेदार व माल कमाए वाले लोगन से फुर्सत कहां बाय..जाय के  उनके घर पर देखबा त पता चल जाई कि उहां केतना किसान हउवैं और केतना ठेकेदार।

किसान चुनाव बाद खुद को उपेक्षित महसूस करते हैं। उन्हें तो किसानों की समस्या सुनना तो दूर अधिकारियों को कुछ कहने में शर्म महसूस होती है, क्योंकि वह किसानों से ज्यादा किसी और तबके के भले के लिए उनके कान में मंत्र फूंका करते हैं।

एक किसान ने कहा कि अगर नेताजी को इतनी चिंता होती तो किसानों के लिए आयोजित होने वाली बैठकों में वे लोग जरूर आते। वह तो केवल जिला पंचायत और जिला योजना की बैठक में ठेकेदारों का हित साधने के लिए और सड़कों का ठेका अपने चहेतों को दिलवाने के लिए आते हैं।

सिंचाई बंधु की बैठक पर किसानों के लिए आयोजित होने वाली कोई बैठक इसमें कोई विधायक सांसद या उनका प्रतिनिधि नहीं आता और ना ही जिले के सभी विभागों के आला अफसर बैठने की जहमत उठाते हैं। इसीलिए ना तो समय से नहरों की सफाई होती है और ना ही माइनरों की। केवल आदेश पर आदेश, निर्देश पर निर्देश… जारी हुआ करते हैं। 

 

जिला अधिकारी और मुख्य विकास अधिकारी भी खबरों को अखबारों में छपवा कर और वेतन काटने का निर्देश देकर खुश हो जाते हैं। पर हकीकत में कुछ नहीं होता ना तो अफसरों का वेतन करता है और ना ही मीटिंग में दिए गए आदेश का पालन होता है। इसीलिए माइनरों में घास जमी हुई है। नहरों की सफाई के नाम पर क्या हुआ है आप अपने इलाके में जाकर खुद देख सकते हैं।

इतना ही नहीं किसानों के नाम पर आंदोलन करने वाले कुछ तथाकथित किसान और लंबी चौड़ी खेती करने वाले लोग भी अधिकारियों के झूठे आश्वासन के सामने घुटने टेक देते हैं और कुछ तो केवल अपनी राजनीति चमकाने के लिए आंदोलन करते हैं। नहीं तो अगर वह इमानदारी से आंदोलन करें और समस्या समाधान ना होने तक अपने इरादे पर डटे रहे हो चंदौली जिले में पानी की समस्या हमेशा के लिए दूर हो जाए। पर ऐसा नहीं होता है।

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