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अबकी बजट में दिखी चंदौली के मेडिकल कालेज की आस, क्यों लगती रही लकड़पेंच

tds_top_like_showtds_top_like_showtds_top_like_showtds_top_like_showtds_top_like_show चंदौली जिले के लिए प्रदेश सरकार ने अपने बजट में मेडिकल कालेज की घोषणा की है। चंदौली के लिए मेडिकल कालेज की घोषणा के बाद अभी तक काम शुरू नहीं हो सका है। हालांकि भाजपा सरकार पहले ही 254 करोड़ रुपये धनराशि आवंटित कर चुकी है। 24 फरवरी को लोक निर्माण मुख्यालय लखनऊ से ऑनलाइन
 
अबकी बजट में दिखी चंदौली के मेडिकल कालेज की आस, क्यों लगती रही लकड़पेंच

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चंदौली जिले के लिए प्रदेश सरकार ने अपने बजट में मेडिकल कालेज की घोषणा की है। चंदौली के लिए मेडिकल कालेज की घोषणा के बाद अभी तक काम शुरू नहीं हो सका है। हालांकि भाजपा सरकार पहले ही 254 करोड़ रुपये धनराशि आवंटित कर चुकी है। 24 फरवरी को लोक निर्माण मुख्यालय लखनऊ से ऑनलाइन निविदा संपन्न होने के बाद निर्माण शुरू होने की उम्मीद है।

अतिपिछड़े जिले में स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर बनाने के लिए सरकार ने मेडिकल कालेज की सौगात दी है। लगभग एक साल पहले ही इसके लिए 254 करोड़ रुपये बजट आवंटित कर दिया गया था। जिला प्रशासन ने सैयदराजा क्षेत्र के बरठी कमरौर में 10 एकड़ से अधिक जमीन भी तलाश ली है।

इसके अलावा जिला अस्पताल में कर्मचारियों का आवास तोड़कर 100 बेड का अस्पताल बनेगा। कुल 300 बेड का मेडिकल कालेज बनाने का प्रस्ताव स्वीकृत हुआ है। कार्यदाई संस्था लोक निर्माण विभाग को मेडिकल कालेज के निर्माण की जिम्मेदारी सौंपी गई है।

अबकी बजट में दिखी चंदौली के मेडिकल कालेज की आस, क्यों लगती रही लकड़पेंच

विभाग की ओर से 11 जनवरी 2021 को ऑनलाइन निविदा हुई थी। इसमें पांच कंपनियों ने भाग लिया था। हालांकि सबसे कम धनराशि में जिस कंपनी ने निर्माण कराने के लिए निविदा डाली थी उसका बजट सरकार के बजट से डेढ़ गुना था। ऐसे में निविदा को रद कर दिया गया।

कार्यदाई संस्था ने दोबारा निविदा कराने के लिए 24 फरवरी की तिथि निर्धारित की है। प्रदेश सरकार की ओर से बजट में इसकी घोषणा की गई है। ऐसे में मेडिकल कालेज की निविदा प्रक्रिया पूरी होने के साथ ही जल्द निर्माण शुरू होने की उम्मीद जग गई है। मेडिकल कालेज का निर्माण होने से जनपद के साथ ही पड़ोसी राज्य बिहार के भभुआ जिले के निवासियों को भी काफी राहत मिलेगी।

क्षेत्रीयजनों का कहना है कि जिला अस्पताल में रोजाना 500 से अधिक मरीज आते हैं। इसके अलावा दुर्घटना में घायलों को भी लाया जाता है लेकिन अस्पतालों में संसाधनों की कमी की वजह से चिकित्सक मजबूरन उन्हें वाराणसी रेफर कर देते हैं। मेडिकल कालेज का निर्माण होने के बाद लोगों को वाराणसी नहीं जाना पड़ेगा।

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