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कोरोना की जंग जीतकर आने वालों का दिल खोलकर करें स्वागत, नहीं करें भेदभाव

tds_top_like_showtds_top_like_showtds_top_like_showtds_top_like_showtds_top_like_show चंदौली जिले के कोरोना विजेताओं से सामाजिक भेदभाव ठीक नहीं बातचीत व हौसला अफजाई से ही बनेगी बात अलग-थलग करना अवैज्ञानिक व अमानवीय कोरोना को हराने वाले से नहीं फैलता वायरस का संक्रमण चंदौली, 02 जून-2020 कोरोना वायरस यानि कोविड-19 को मात देने वालों के साथ सामाजिक भेदभाव करना वैज्ञानिक और मानवीय दोनों दृष्टिकोण से
 
कोरोना की जंग जीतकर आने वालों का दिल खोलकर करें स्वागत, नहीं करें भेदभाव

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चंदौली जिले के कोरोना विजेताओं से सामाजिक भेदभाव ठीक नहीं

  • बातचीत व हौसला अफजाई से ही बनेगी बात
  • अलग-थलग करना अवैज्ञानिक व अमानवीय
  •  कोरोना को हराने वाले से नहीं फैलता वायरस का संक्रमण

चंदौली, 02 जून-2020 कोरोना वायरस यानि कोविड-19 को मात देने वालों के साथ सामाजिक भेदभाव करना वैज्ञानिक और मानवीय दोनों दृष्टिकोण से उचित नहीं है । उन्होंने एक ऐसे वायरस को हराया है जो कि किसी को भी और कभी भी हो सकता है, इसमें उनका कोई ऐसा दोष नहीं है जिसके लिए उनके साथ सामाजिक भेदभाव किया जाए ।

आखिर वह भी हमारे समाज और परिवार के अभिन्न अंग हैं और इन विषम परिस्थितियों में जब वह कोरोना के संक्रमण को लेकर तनाव और चिंता में हैं तो उनको मानसिक संबल प्रदान करना हम सभी का नैतिक दायित्व बनता है । यह कहना है मानसिक स्वास्थ्य के राज्य नोडल अधिकारी सुनील पाण्डेय का ।

श्री पाण्डेय का कहना है कि कोरोना संक्रमित व्यक्ति से बात करने पर यही पता चलता है कि उनको इसके चपेट में आने से ज्यादा यह चिंता सताती रहती है कि लोग क्या कहेंगे और उनके साथ कैसा व्यवहार करेंगे । उनकी इस चिंता और तनाव को तभी दूर किया जा सकता है जब हम उनके साथ पहले जैसा सामान्य व्यवहार करें ।

इसके साथ ही कोरोना से स्वस्थ हुए व्यक्ति को अलग-थलग करना अवैज्ञानिक और अमानवीय भी है । इसीलिए समुदाय को बराबर जागरूक भी किया जा रहा है कि कोविड-19 को मात देने वाले व्यक्ति के साथ बातचीत करना पूरी तरह से सुरक्षित है । इसके अलावा यह भी जानना जरूरी है कि कोरोना से जंग जीतने वाले व्यक्ति से वायरस का संक्रमण नहीं फैलता है ।

सेवा में जुटे स्वास्थ्यकर्मियों का करें सम्मान :

श्री पाण्डेय का कहना है अपना घर-परिवार छोड़कर कोरोना के वार से हर किसी को सुरक्षित करने में दिन-रात जुटे स्वास्थ्यकर्मियों के प्रति भी लोगों को दिल से शुक्रिया अदा करना चाहिए । लोगों को इस पर विचार करना चाहिए कि जब एक चिकित्सक लोगों की जिन्दगी को बचाने के कर्तव्य को निभाने में जुटा है तो ऐसे में वह अपनी जिम्मेदारी निभाने से कैसे पीछे हट सकते हैं ।

दिल से करें स्वागत :

स्वस्थ होकर अस्पताल से घर आने वालों का अगर करीबी दिल से स्वागत करें और उनका हालचाल जानें तो वह बहुत जल्दी ही चिंता और तनाव से उबर सकते हैं । इस दौरान ख़बरों में ऐसे कई उदाहरण देखने को भी मिल रहे हैं जहाँ पर संक्रमितों के अस्पताल से लौटने पर सोसायटी या आस-पड़ोस के लोगों ने फूल बरसाकर उनका एक योद्धा के रूप में स्वागत भी किया है । इसी भावना को जिन्दा रखकर ही हम उनको मानसिक संबल प्रदान करने के साथ ही उनके कष्ट को दूर कर सकते हैं ।
जागरूक बनें :

  • घर से बाहर निकलें तो मास्क/गमछा/रुमाल/स्कार्फ से मुंह-नाक ढककर रखें
  •  एक दूसरे से दो गज दूर से ही मिलें
  •  मुंह, नाक व आँख को छूने से बचें
  •  साबुन-पानी से हाथ अच्छी तरह से धुलें
  •  साबुन-पानी न मिलने पर ही सेनेटाइजर से हाथ साफ़ करें

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