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धान के कटोरे में छेद कर रहे हैं असंवेदनशील अफसर व सत्ताधारी दल के राजनेता : रामकिशुन यादव

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धान के कटोरे में छेद कर रहे हैं असंवेदनशील अफसर  व सत्ताधारी दल के राजनेता : रामकिशुन यादव

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वैसे तो चंदौली जिला धान का कटोरा कहा जाता है और अक्सर चंदौली जिले से राजनीति करने वाले हर दल के लोग इस बात को कहते हुए गर्व महसूस करते हैं, लेकिन धान के कटोरे में धान की खरीद की हकीकत क्या है… यह किसी से छुपी हुई नहीं है। चाहे सत्ताधारी दल के नेता हों या विरोधी दल के राजनीति करने वाले लोग। सारे दल के नेता इस मामले को अपनी-अपनी तरह से राजनीतिक स्टाइल में भुनाने में लगे हैं और राजनीति करने से बाज नहीं आ रहे हैं। कोई सरकार और सत्ता पक्ष की शिकायत कर रहा है तो कोई सरकार और सत्ता की तारीफ। हर कोई खुद को किसानों का हितैषी बता रहा है लेकिन धान खरीद अच्छे तरीके से कैसे होगी और कब तक होगी इस सवाल का जवाब किसी के पास नहीं है।

धान के कटोरे में छेद कर रहे हैं असंवेदनशील अफसर  व सत्ताधारी दल के राजनेता : रामकिशुन यादव

चंदौली जिले में धान की खरीद में हो रही परेशानियों की सच्चाई जानने की कोशिश में चंदौली समाचार ने जिले के किसान व समाजवादी पार्टी के पूर्व सांसद रामकिशुन यादव से खास बातचीत की। चंदौली समाचार से खास बातचीत में रामकिशुन यादव ने धान खरीद में की जा रही लापरवाही और होने वाली प्रमुख समस्याओं के बारे में एक-एक करके कई ऐसी बातें बतायीं जिन पर अगर अधिकारी व भाजपा के नेता ध्यान देंगे तो जिले की आधी से अधिक समस्याएं दूर हो जाएंगी।

केन्द्र पर बोरे व मशीन की उपलब्धता की गारंटी लें

चंदौली जिले में शत प्रतिशत धान खरीद सुनिश्चित कराने के लिए जितने अधिकारी लगाएं गए हैं पहले तो उनका हर केन्द्रों पर दौरा फिक्स किया जाय और कम से कम सप्ताह में दो दिन जरूर जाकर केन्द्र की हकीकत देखें और वहां पर बोरे व मशीन की समस्याओं को तत्काल हल कराएं। केवल फोन पर बात व लंबे चौड़े आश्वासन न दें। साथ ही केन्द्रों का दौरा न करने वाले फर्जी रिपोर्टिंग करने वाले अधिकारियों पर कार्रवाई हो तो यह व्यवस्था सुधरेगी।

खरीदे गए धान की उठान सुनिश्चित कराएं
आप किसी भी धान खरीद केन्द्र पर जाएंगे तो वहां पर खरीदे गए धान की उठान काफी धीमी गति से हो रही है। इसीलिए खरीद भी कम की जाती है, ताकि वहां पर स्टोर का लोड न बढ़ जाय। अगर वहां से हर दिन खरीदा गया धान हटा लिया जाएगा तो खरीद केन्द्र पर पर्याप्त धान रखने की जगह व क्षमता होगी।

केन्द्र पर धान खरीदने की नंबर लगाने वाले किसान को तारीख बताएं
रामकिशुन यादव ने कहा कि यह बात किसी से छिपी नहीं है कि अधिकारी व राजनेता भी बड़े व हंगामा मचाने वाले किसानों के धान को तो तत्काल किसी असुविधा के खरीद लिया जाता है पर गरीब व छोटे किसानों को बेचने में काफी परेशानी हो रही है। इसलिए जो भी धान बेचने के लिए किसान केन्द्र पर आता है उसके धान की खरीद की तारीख बता दी जाए तो वह उस दिन धान बेचने के लिए आ जाएगा। इसके लिए न तो किसान को परेशान होना होगा न तो केन्द्र वालों को।

28 फरवरी तक खरीद की तारीख देना ठीक नहीं
रामकिशुन यादव ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी के नेता और अधिकारी दोनों किसानों को केवल बेवकूफ बनाने का काम कर रहे हैं और जानबूझकर धान की खरीद धीमी गति से कर रहे हैं, ताकि जरूरतमंद किसान अपने धान को इधर उधर बेंचकर खाली हो जाए और कागजों पर खरीद का आंकड़ा आसानी से पूरा करते हुए अपनी लंबी चौड़ी रिपोर्ट प्रेषित कर सकें। अगर किसी केंद्र पर जाकर हकीकत जानने की कोशिश की जाएगी तो पता चलेगा कि वहां पर किसानों से कम बल्कि बिचौलियों से धान अधिक मात्रा में खरीदा जा रहा है। इसकी पुष्टि खुद भारतीय जनता पार्टी के विधायक के दौरे में सैयदराजा में भी हो ही चुकी है, जिसकी खबर सबने अखबारों व सोशल मीडिया में पढ़ी होगी। विधायक खुद जब केंद्र पर पहुंचे थे तो वहां किसानों से नहीं किसी और से धान खरीदी जा रही थी।

धान के कटोरे में छेद कर रहे हैं असंवेदनशील अफसर  व सत्ताधारी दल के राजनेता : रामकिशुन यादव

भाजपा के पदाधिकारियों के गिरफ्त से मुक्त हों केन्द्र

रामकिशुन यादव ने इस बात पर जोर देकर कहा कि धान खरीद केंद्र को बद से बदतर बनाने में भारतीय जनता पार्टी के मंडल प्रभारियों का खास तौर से हाथ है। यह मंडल प्रभारी वहां पर कुंडली मारकर बैठे हुए हैं और जिसका धान खरीदने की पहल कर रहे हैं, केवल उन्हीं लोगों का धान खरीदा जा रहा है। पंजीकरण और रजिस्ट्रेशन के नाम पर बेवकूफ बनाया जा रहा है और प्रतीक्षा करने की बात कहते हुए किसी को ना तो पक्की तारीख बताई जा रही है और ना ही यह कहा जा रहा है कि उसका धान कब तक खरीद लिया जाएगा। वह ऐसा सिर्फ इसलिए हो रहा है कि भारतीय जनता पार्टी के मंडल प्रभारी ही तय कर रहे हैं कि किस केंद्र पर किसका धान खरीदा जाएगा। ऐसे में कुछ मजबूत किसान भले ही अपना ध्यान बेच पा रहे हों लेकिन कमजोर किसानों को भारतीय जनता पार्टी के नेता दबाकर औने पौने दामों में बिचौलियों को धान बेचने के लिए मजबूर कर रहे हैं।

इसीलिए धीमी गति से हो रही खरीद
रामकिशुन यादव ने यह भी कहा कि धन खरीद केंद्र की धीमी गति से जरूरतमंद और ऐसे किसानों को काफी मुश्किल हो रही है, जिनको तत्काल पैसे की आवश्यकता है और उन्हें गेहूं की बुवाई और अपने अन्य आवश्यकता की चीजें खरीदनी है। ऐसे में वह मजबूर होकर किसी बनिया या बिचौलियों को अपना ध्यान कम कीमत में बेच रहा है और वही धान बनिया या बिचौलियों की केंद्रों से सेटिंग करके 1886 रूपए में केंद्रों को बेच रहे हैं।

केवल छोटे व कमजोर लोगों पर हो रही कार्रवाई

केन्द्रों के सही से न चलने देने में भाजपा के दबंग नेताओं के साथ साथ कई और लोगों का रोल है। इसकी जांच पड़ताल कायदे से हो तो पता चल जाएगा। कोई भी अधिकारी कभी भी किसी केंद्र पर जाकर और पूछताछ करके हकीकत पता कर सकता है। रामकिशुन यादव ने यह भी बताया कि वैसे तो दिखाने के तौर के लिए एफआईआर व अन्य कार्यवाही की जा रही है लेकिन सच्चाई यह है कि केवल कमजोर कर्मचारियों को ही बलि का बकरा बनाया जा रहा है। सच्चाई यह है कि ऊपर से इनकी समस्यों का हल ही नहीं किया जा रहा है। मशीन खराब है तो उसकी मरम्मत नहीं हो पा रही है और बोरा नहीं हो तो बोरा नहीं भेज पा रहे हैं। धान रखने की जगह नहीं है तो ढुलाई का भी बुरा हाल है। ऐसे में केवल छोटे अधिकारियों को बलि का बकरा बनाना ठीक नहीं हैय़ बल्कि अगर धान खरीद करानी है तो ऊपर से सारी व्यवस्था को चुस्त-दुरुस्त और सटीक करना होगा।

रामकिशुन ने यह भी कहा कि मंडल स्तर के अधिकारी हो या प्रदेश स्तर के या भारतीय जनता पार्टी के प्रभारी मंत्री वह केवल कागजों और इक्का-दुक्का केंद्रों को देख कर पूरे जिले की खरीद का लंबा चौड़ा ब्यौरा जान जाते हैं, जबकि उन्हें वास्तविक हकीकत मालूम है और वह चाह कर भी कुछ नहीं कर पा रहे हैं। ऐसे में धान के कटोरे में धान की खरीदी केवल दिखावा मात्र है। अगर इसमें जरा भी सच्चाई है तो जिलाधिकारी या भारतीय जनता पार्टी के विधायक अपने-अपने इलाकों में इस बात की घोषणा करें कि सारे लोगों की धाम की खरीद किस तारीख तक हो जाएगी और अगर नहीं होती है तो उसके लिए किस पर क्या कार्यवाही होगी। साथ ही साथ वह भी बताना चाहिए कि अगर धान खरीद का कागजी लक्ष्य पूरा हो जाएगा तो बाकी धान का क्या होगा।

रामकिशुन यादव ने याद दिलाया कि कुछ दिन पहले ही वह अरंगी गांव में गए हुए थे। वहां धान की खरीद के लिए जो व्यवस्था सरकार द्वारा की गई थी वह फेल हो गई और अब एक अन्य एजेंसी को धान खरीदने के लिए कहा गया है, लेकिन लगता नहीं है कि वह धान खरीद पाएगी क्योंकि इतना धान वहां पर मौजूद है, और जितनी जल्दी उसे खरीदना चाहिए इसकी प्रशासन के पास कोई तैयारी नहीं है।


राजनाथ सिंह से बात के बाद भी नहीं बदले हालात

रामकिशन यादव ने कहा हम दूसरे दल राजनेता जरूर हैं लेकिन अगर जिले की बात होती है तो वह भारतीय जनता पार्टी के नेताओं और आला मंत्रियों से भी बात करने से गुरेज नहीं करते हैं। धान की खरीद में हो रही लगातार लापरवाही और निष्क्रियता के चलते उन्होंने खुद जिले के रहने वाले देश के रक्षामंत्री राजनाथ सिंह से बात की। इसके बाद राजनाथ सिंह ने खुद मुख्य सचिव से बात की। फिर मुख्य सचिव ने जिलाधिकारी से धान खरीद में हो रही खामियों को दूर करने के लिए बात कही। लेकिन अभी तक इस मामले में कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है। केवल वही ढाक के तीन पात का काम किया जा रहा है।

चुप नहीं बैठेंगे हम

रामकिशुन ने चंदौली जिले के किसानों के धान को सही तरीके से नहीं खरीदा गया तो समाजवादी पार्टी के नेता चुप नहीं बैठेंगे और इसे मुद्दा बनाकर आंदोलन करेंगे। भले ही इसके लिए उनके ऊपर मुकदमे दर्ज किए जाएं या जेल भेजने की कोशिश की जाए। हमारे लिए चंदौली का किसान सर्वोपरि है और इसके हक की लड़ाई हम अंतिम दम तक लड़ते रहेंगे।

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