खेल की मूल भावना को दूषित ना करें : डॉ रणधीर सिंह
tds_top_like_showtds_top_like_showtds_top_like_showtds_top_like_showtds_top_like_show
चन्दौली जिले में आजकल समाज में ,समाचारों में, समारोहों में तथा विद्वतजनों के वक्तव्य में खेल शब्द के प्रयोग का दायराअत्यधिक विस्तृत हुआ है खेल शब्द का अनेकार्थी शब्द के रूप में प्रयोग किया जा रहा है मुझे ऐसा प्रतीत होता है कि पिछले एक दशक में खेल सब ने अपने तमाम पर्याय शब्दों को जन्म दिया है।
खेल की मूल भावना, मूल अवधारणा ,एवं मूल परिकल्पना अत्यंत ही स्वच्छ एवं पवित्र है इसे अनावश्यक स्थानों पर प्रयोग कर खेल एवं खेल भावना के प्रति लोगों के समर्पण को कम ना किया जाए। खेल मनुष्य को एक स्वच्छ ,स्वच्छंद एवं प्रतिस्पर्धात्मक वातावरण उपलब्ध कराता है इससे भाईचारे का विकास होता है तथा हम स्वस्थ जीवन की कामना करते हैं।
आजकल अनियमितता, भ्रष्टाचार, धांधली ,राजनीति, लापरवाही ,गड़बड़ी ,अनदेखी, नियमों की अनदेखी ,घोटाला, भ्रष्टाचार, घटतौली जैसे शब्दो के स्थान पर खेल शब्द के प्रयोग का प्रचलन बड़ी तेजी के साथ हो रहा है। नियुक्ति में खेल, प्रवेश में खेल, राशन कार्ड में खेल, टिकट में खेल एवं टेंडर में खेल आदि कुछ इसके सामान्य उदाहरण हैं।इस तरह के भाषाई एवं शाब्दिक प्रयोग का पिछले एक दशक से चलन बड़ी तेजी से हो रहा है। खेल शब्द के विभिन्न अर्थों में किए जा रहे इस प्रयोग से हम सबको बचना है हमें खेल , खेल शब्द की पवित्रता एवं खेल भावना को दूषित होने से बचाना है ।
इस तरह के प्रयोग से खेल एवं खेल भावना आहत होगी। मेरा जन-जन से सुधि जनों से तथा विदानो से सादर निवेदन एवं अपील है कि इस मेरे छोटे से प्रयास को आप उत्तरोत्तर गति देने एवं भाषाई एवं शाब्दिक अशुद्धि प्रयोग को अच्छी सोच में बदलने में अपना सहयोग देंगे। साथियों हिंदी समुद्र सी विशाल एवं अत्यंत ही समृद्ध भाषा है हमें शाब्दिक प्रयोग की अशुद्धियों से निकलकर ,शाब्दिक एवं भाषाई अशुद्धियों के हेरफेर से भी बचना है।
मेरा सभी से निवेदन एवं अपील है कि खेल शब्द का प्रयोग वही किया जाए जहां सही ,सटीक सार्थक एवं अर्थ पूर्ण हो। विभिन्न देशों में एवं भारत में भी खेल को धर्म के रूप में स्वीकार किया जाता है इसके विभिन्न पक्ष अनुकरणीय हैं जिसमें जीतने हारने के पश्चात भी मैत्री भाव बनाए रखना ,इसके समृद्ध होने का सूचक है इसके स्पर्धात्मक होने के साथ-साथ इसका नियम बंद होना मैत्रीपूर्ण होना बुजुर्गों एवं युवाओं के आकर्षण का सदैव केंद्र रहा है यह मेरी जन सामान्य एवं जन जागरण हेतु अपील है इसमें आप सभी बुद्धिजनो से सहयोग अपेक्षित है मुझे उम्मीद है कि हम सब मिलकर सकारात्मक विचारों की ओर कदम से कदम मिलाकर चलने का प्रयास करेंगे।
डॉ रणधीर सिंह विभागाध्यक्ष, शारीरिक शिक्षा विभाग ,डॉ राम मनोहर लोहिया पीजी कॉलेज भैरो तालाब राजातालाब वाराणसी का यह छोटा सा प्रयास आपके सहयोग से उत्तरोत्तर पुष्पित एवं पल्लवित होगा।
चंदौली जिले की खबरों को सबसे पहले पढ़ने और जानने के लिए चंदौली समाचार के टेलीग्राम से जुड़े।*