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पराली न जलाने के लिए किसानों को बार-बार किया जा रहा जागरूक

tds_top_like_showtds_top_like_showtds_top_like_showtds_top_like_showtds_top_like_show फसल अवशेष प्रबंधन के तहत, फसल अवशेष नहीं जलाने के लिए सकलडीहा क्षेत्र के तेनुवट गांव में प्रधान प्रतिनिधि के उपस्थिति में कृषि विभाग के डॉ विजय कुमार विमल प्राविधिक सहायक सकलडीहा के द्वारा किसानों को जागरूक किया गया। किसानों को जागरूक करते हुए बताया गया कि फसलो की कटाई के बाद धान के अवशेष
 
पराली न जलाने के लिए किसानों को बार-बार किया जा रहा जागरूक

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फसल अवशेष प्रबंधन के तहत, फसल अवशेष नहीं जलाने के लिए सकलडीहा क्षेत्र के तेनुवट गांव में प्रधान प्रतिनिधि के उपस्थिति में कृषि विभाग के डॉ विजय कुमार विमल प्राविधिक सहायक सकलडीहा के द्वारा किसानों को जागरूक किया गया।

किसानों को जागरूक करते हुए बताया गया कि फसलो की कटाई के बाद धान के अवशेष को जलाने से न केवल पर्यावरण खराब होता बल्कि मिट्टी में मौजूद पोषक तत्व, लाभदायक बेक्टिरिया आदि भी नष्ट हो जाते हैं।फसल अवशेष जलाने से कार्बन डाई आक्साइड, कार्बन मोनोऑक्साइड जैसी नुकसान करने वाली गैस निकलती है, जिससे आंखों में जलन ,कैंसर जैसी घातक बीमारी भी होती है। साथ ही साथ मृदा में मौजूद जीवांश कार्बन की मात्रा भी कम होती है जिसके कारण फसल उत्पादन पर भी असर पड़ता है ।

फसल अवशेष के निदान के लिए लोगो को डीकम्पोज़र का प्रयोग और इंसीटू योजना के तहत कृषि यंत्रो के प्रयोग व अनुदान के बारे में बताया गया।

किसानों द्वारा अगर अवशेष जलाया गया तो जुर्माना दो एकड़ से कम होने की दशा में प्रति घटना 2500 रुपये, दो एकड़ से पांच एकड़ तक होने की दशा में 5000 रुपये प्रति घटना और पांच एकड़ से अधिक होने की दशा में 15000 रुपये अर्थदंड लगाया जा सकता है। कंबाईन हार्वेस्टिंग मशीन का रीपर के बिना प्रयोग प्रतिबंधित कर दिया गया है। कृषि अपशिष्ट के जलाए जाने की पुनरावृत्ति होने की दशा में संबंधित कृषकों को सरकार द्वारा प्रदत्त की जाने वाली सुविधाओं,सब्सिडी आदि से वंचित किए जा सकता हैं।

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