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मणिकर्णिका घाट पर पंचतत्व में विलीन में हो गया शहीद धर्मदेव, पिता ने दी मुखाग्नि

tds_top_like_showtds_top_like_showtds_top_like_showtds_top_like_showtds_top_like_show छत्तीसगढ़ के बीजापुर में शहीद हुए चंदौली जिले के धर्मदेव कुमार का पार्थिव शरीर मंगलवार को मणिकर्णिका घाट पर पंचतत्व में विलीन में हो गया। मुखाग्नि शहीद के पिता रामाश्रय गुप्ता ने दी। इससे पहले की सुबह उनके गांव ठेकहां, बड़गांवा पहुंचा। शहीद का पार्थिव शरीर पहुंचते ही परिवार में कोहराम मच गया। गम और
 
मणिकर्णिका घाट पर पंचतत्व में विलीन में हो गया शहीद धर्मदेव, पिता ने दी मुखाग्नि

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छत्तीसगढ़ के बीजापुर में शहीद हुए चंदौली जिले के धर्मदेव कुमार का पार्थिव शरीर मंगलवार को मणिकर्णिका घाट पर पंचतत्व में विलीन में हो गया। मुखाग्नि शहीद के पिता रामाश्रय गुप्ता ने दी। इससे पहले की सुबह उनके गांव ठेकहां, बड़गांवा पहुंचा। शहीद का पार्थिव शरीर पहुंचते ही परिवार में कोहराम मच गया। गम और गुस्से के बीच लोगों ने नम आंखों से अपने वीर सपूत को नमन किया।

मणिकर्णिका घाट पर पंचतत्व में विलीन में हो गया शहीद धर्मदेव, पिता ने दी मुखाग्नि

भारत माता की जय और धर्मदेव अमर रहें के नारे से गूंज उठा। इस बीच परिवार और गांव के लोग मुख्यमंत्री के बुलाने की मांग पर अड़ गए। इस दौरान काफी मान मनौव्वल के बाद मंगलवार को दोपहर बाद करीब ढाई बजे शहीद की शव यात्रा मणिकर्णिका घाट के लिए निकली। सैकड़ों लोग शहीद की अंतिम विदाई में शामिल हुए।

मणिकर्णिका घाट पर पंचतत्व में विलीन में हो गया शहीद धर्मदेव, पिता ने दी मुखाग्नि

नक्सली हमले में शहीद धर्मदेव कुमार का पार्थिव शरीर मंगलवार की सुबह करीब 10:20 पर उनके पैतृक गांव ठेकहां, बड़ागांव पहुंचा। शहीद का शव घर पहुंचते ही परिवार वालों का रो रोकर हाल बेहाल हो गया। पत्नी मीना तो बार-बार अचेत हो जा रही है और होश में आते ही फिर से रोने लगती। पिता रामाश्रय गुप्ता के आंखों के मानो आंसू ही सूख गए हैं। वे कभी लोगों को देखते तो कभी परिवार वालों को। वहीं शव घर पहुंचने के बाद आसपास के गांवों के लोग अपने वीर शहीद को अंतिम विदाई देने के लिए सुबह से ही सैकड़ों की संख्या में उमड़ पड़े।

मणिकर्णिका घाट पर पंचतत्व में विलीन में हो गया शहीद धर्मदेव, पिता ने दी मुखाग्नि

दोपहर बाद प्रभारी मंत्री रमाशंकर पटेल के आश्वासन देने के बाद परिवार वाले शव के अंतिम संस्कार को राजी हुए। इसके बाद बारी बारी से परिवार के लोगों ने तिरंगे में लिपटे धर्मदेव के पार्थिव शरीर को देखा तो माहौल गमगीन हो गया। सबसे पहले पत्नी मीना पति के अंतिम दर्शन करने गई लेकिन पति को देखते हुए एक बार फिर अचेत हो गई। पिता रामाश्रय गए लेकिन बेटे के शांत चेहरे को देख कर उसके मुंह से बोल नहीं फूट सके। मां कृष्णावती के सब्र का बांध बेटे के मृत शरीर के पास पहुंचते ही मानो टूट गया और कहां चला गया लाल कहकर लिपटी तो वहां मौजूद सभी की आंखें नम हो गईं।

छोटे भाई सीआरपीएफ के जवान धनंजय ने बड़े भाई को सलामी दी तो मझले भाई आनंद ने भी भाई को पुष्पांजलि अर्पित की। इसके बाद सजे धजे वाहन पर शहीद के शव को रख कर जब मणिकर्णिकाघाट की यात्रा शुरु हुई तो चहेते लाल को श्रद्धांजलि अर्पित करने के लिए सैकड़ों लोग साथ हो लिए। जब तक सूरज चांद रहेगा, धर्मदेव तुम्हारा नाम रहेगा, भारत माता की जय, वंदे मातरम आदि नारों के साथ शहीद की अंतिम यात्रा मणिकर्णिका घाट पहुंची।

मणिकर्णिका घाट पर पंचतत्व में विलीन में हो गया शहीद धर्मदेव, पिता ने दी मुखाग्नि

शहीद धर्मदेव कुमार का तिरंगे में लिपटा शव देख कर पत्नी मीना अचेत हो गई। वहीं पिता जवान बेटे का पार्थिव शरीर देखने की हिम्मत तक नहीं जुटा पा रहे थे। किसी तरह देखा भी तो आंसू थमने का नाम नहीं ले रहे थे। वहीं बेटे का पार्थिव शरीर देखने के बाद मां माता कृष्णावती देवी के मुंह से सिर्फ यही निकल सका कि ‘कहां चले गए लाल। शहीद धर्मदेव की दोनों मासूम बेटियों को रोते देख पूरा गांव रो पड़ा।

नक्सली हमले में शहीद धर्मदेव का पार्थिव शरीर गांव में पहुंचते ही परिवार वालों के साथ ग्रामीणों के सब्र का बांध टूट गया। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और राजनाथ सिंह को गांव में बुलाने की मांग पर अड़ गए। एलान कर दिया कि मुख्यमंत्री और रक्षा मंत्री के आने तक न तो परिवार के लोग शहीद के अंतिम दर्शन करेंगे और न ही शव का अंतिम संस्कार किया जाएगा। चार घंटे के मान मनौव्वल के बाद प्रभारी मंत्री रमाशंकर पटेल ने मुख्यमंत्री से बात की और आश्वासन दिया कि जल्द ही वे मुख्यमंत्री से परिवार वालों की मुलाकात कराएंगे। इसके बाद परिवार वाले माने और शहीद का अंतिम संस्कार हुआ।

शनिवार की दोपहर में छत्तीसगढ़ के बीजापुर जिले में जोन्नगुड़ा जंगल में नक्सलियों से मुठभेड़ में ठेकहा के धर्मदेव की शहादत की खबर मिलते ही गांव में शोक की लहर दौड़ गई थी। इस घटना में यूपी के दो जवान शहीद हुए हैं। ऐसे में आशा थी कि शहीद के परिवार वालों को ढांढस बंधाने के लिए मुख्यमंत्री अथवा रक्षा मंत्री आएंगे। सोमवार की शाम रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने धर्मदेव के पिता रामाश्रय से फोन के माध्यम से बात भी की थी। सोमवार की देर रात शहीद का पार्थिव शरीर बाबतपुर हवाई अड्डा पहुंचा था। यहां से दुलहीपुर स्थित सीआरपीएफ कैंप कार्यालय पहुंचा। यहां से मंगलवार की सुबह शव को गांव पहुंचाया गया। शव सुबह साढ़े दस बजे गांव में पहुंचा। बावजूद इसके शहीद के घर न तो क्षेत्रीय विधायक पहुंचे और न ही राबर्ट्सगंज सांसद ही पहुंचे। इससे परिवार वालों में काफी आक्रोश था।

शहीद के पार्थिव शरीर को उनके घर के आगे मैदान में रखा गया लेकिन परिवार के लोगों ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और रक्षामंत्री राजनाथ सिंह को मौके पर बुलाने की मांग पर अड़ गए। इससे प्रशासनिक अमले में खलबली मच गई।

इस मौके पर डीएम संजीव सिंह, एसपी अमित कुमार, प्रभारी मंत्री रमाशंकर पटेल सहित अन्य लोगों ने परिवार वालों को समझाया लेकिन वे नहीं माने। चार घंटे बाद प्रभारी मंत्री रमाशंकर पटेल ने मुख्यमंत्री से वार्ता की और जल्द ही परिवार वालों को मुख्यमंत्री से मिलाने का वादा किया। इसके बाद परिवार वाले शांत हुए और शहीद के अंतिम संस्कार को राजी हुए।

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