गांव की गलियों में ‘आशा-एएनएम’ कैसे रखती हैं सबकी सेहत का ख्याल जाने कुमकुम द्विवेदी से ..
tds_top_like_showtds_top_like_showtds_top_like_showtds_top_like_showtds_top_like_show चंदौली जिले में गांव की गलियों में ‘आशा-एएनएम’ रखती हैं सबकी सेहत का ख्यालव सारी जानकारियाँ रखती हैं, आपातकालीन स्थिति में भी निभाती हैं अहम भूमिका इसी बात हम सबसे बता रही हैं आशा कुमकुम द्विवेदी… चंदौली जिले में स्वास्थ्य संबंधी योजनाओं और कार्यक्रमों को सही मायने में समुदाय के आखिरी व्यक्ति तक पहुंचाने और
May 31, 2020, 11:58 IST
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चंदौली जिले में गांव की गलियों में ‘आशा-एएनएम’ रखती हैं सबकी सेहत का ख्यालव सारी जानकारियाँ रखती हैं, आपातकालीन स्थिति में भी निभाती हैं अहम भूमिका इसी बात हम सबसे बता रही हैं आशा कुमकुम द्विवेदी…
चंदौली जिले में स्वास्थ्य संबंधी योजनाओं और कार्यक्रमों को सही मायने में समुदाय के आखिरी व्यक्ति तक पहुंचाने और जागरूक करने में आशा कार्यकर्ता की अहम भूमिका होती है। आशा का कार्य स्थानीय स्वास्थ्य केन्द्र के माध्यम से कमजोर वर्ग के लोगों और स्वास्थ्य सेवाओं से वंचित महिलाओं को सेवाएँ प्रदान कराना तथा उनको स्वास्थ्य के प्रति जागरुक करना है।
राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के कार्यक्रमों को जमीनी स्तर पर आशा कार्यकर्ताओं के माध्यम से ही उतारा जाता है। ग्रामीण एवं दूरस्थ इलाकों की गर्भवती महिलाओं, किशोरियों एवं बच्चों तक स्वास्थ्य सुविधाएं पहुंचाने तथा स्वास्थ्य संबंधित जागरूकता लाने में आशा कार्यकर्ताओं की बहुत ही सक्रिय भूमिका रहती है। तो आइए जानते हैं उनकी चुनौतियों, संघर्ष और अनुभवों के बारे में।
आशा कुमकुम द्विवेदी ग्राम भीषमपुर, ब्लाक चकिया के 145 घरों में रहने वाले लगभग 950 लोगों की सेहत का ख्याल रखती हैं। वह बताती हैं कि ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों को समझाना सबसे ज्यादा चुनौती पूर्ण होता है। शुरुआत में जब उनकी नियुक्ति यहाँ हुयी थी तो गांव के लोगों को समझाना बहुत मुश्किल होता था, लेकिन धीरे-धीरे समुदाय के लोगों का आशा के प्रति व्यवहार परिवर्तन हुआ और अब सभी उनकी बातें समझते हैं साथ ही उसको अपनाते भी हैं।
आशा कुमकुम बताती हैं कि गर्भावस्था के समय ग्रामीण महिलाओं को परामर्श देना और सुरक्षित प्रसव कराने में अब कोई दिक्कत नहीं आती है। ग्रामीण महिलाएं भी अब पूरी तरह से आशाओं पर भरोसा करने लगी हैं। अब सब कुछ आसान लगता है। समुदाय को गर्भावस्था में खानपान का पूरा ख्याल रखने , टीकाकरण, स्तनपान के साथ ही असुरक्षित यौन संबंध से होने वाले इंफेक्शन या बीमारी और सावधानियों की जानकारी नियमित देती हैं ।
वह बताती हैं कि आपातकालीन स्थिति में रेफर आदि से लेकर गरीब लोगों के लिए स्वास्थ्य संबंधित हर कार्य को हम आशा कार्यकर्ताओं को ही करना होता है। कई बार गर्भवती महिलाओं को अधिक खून रिसाव होने पर उन्होने स्वयं के प्रयास से जिला संयुक्त चिकित्सालय लेकर गईं और सुरक्षित प्रसव भी कराया । वह बताती हैं कि ग्रामीण इलाकों में गर्भवती महिलाओं में खून की कमी अक्सर होती है। साथ ही उच्च रक्तचाप की भी समस्या होती है।
इसलिए गर्भावस्था में देखभाल करना बहुत ही आवश्यक है। वह बताती हैं कि बच्चों को टीकाकरण के लिए केन्द्र तक पहुंचाना, गर्भवती महिलाओं को आँगनबाड़ी केन्द्र लाकर उनकी जाँच तथा स्वास्थ्य प्रशिक्षण में ग्रामीण महिलाओं के साथ रहना होता है। वर्तमान में शहरी क्षेत्रों की तरह ग्रामीण क्षेत्रों की महिलाओं को आशाओं की देखरेख में संस्थागत प्रसव कराने पर अधिक ज़ोर दिया जाता है ताकि मातृ एवं शिशु मृत्यु दर में निरंतर सुधार लाया जा सके।
आशा कुमकुम बताती हैं कोरोना वायरस के संक्रमण के खतरे को देखते हुये लॉक डाउन से पहले ही आशा कार्यकर्ताओं ने ग्रामीण क्षेत्रों को जागरूक करने के लिए एक-दूसरे से दूरी बनाकर रहने की सीख दे रही हैं। वह समुदाय में लोगों को साबुन से बार-बार हाथ धोने, नाक एवं मुँह को हमेशा ढककर रखने, साग सब्जियां को साफ पानी से धोकर बनाने के बारे में जागरूक कर रही हैं।
अब स्थिति यह है कि गाँव के लोग स्वयं ही कहते हैं कि बाहर से कुछ लोग आये हैं उनको होम कोरेंटाइन कर दीजिए। होम कोरेंटाइन किये गए लोगों का फॉलो अप भी करती हैं। आशा उन्हें साफ़-सफाई पर विशेष ध्यान देने पर ज़ोर देती हैं।
भीषमपुर गाँव की ही एएनएम जीरा पटेल बताती हैं कि कोरोना वायरस को लेकर ग्रामीणो में डर नहीं जागरूकता है। इस दौरान वह सामाजिक दूरी का पालन करते हुये घर-घर जाकर गर्भवती महिलाओं एवं बच्चों की देखभाल और सलाह दे रही हैं। जीरा पटेल ने कहा कि एएनएम, आशाओं की लोगों को यही समझानेकी कोशिश है कि बहुत जरूरी हो तभी बाहर जायें और गमछे से मुंह को ढककर जाएं।
बाहर से घर में आने पर पहले हाथ पैर साबुन से जरूर धोएँ। वस्त्रों को स्वच्छ रखें। गुनगुना पानी पिएं। बासी खाना न खाएं। मौसम के अनुसार फल का सेवन करें। एएनएम का कहना है कि व्यक्ति को पहले अपने आप को सुरक्षित रखना होगा, तभी समाज सुरक्षित हो सकेगा।
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