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पश्चिम वाहिनी गंगा तट पर मौनी अमावस्या के स्नान का है खास महत्व

tds_top_like_showtds_top_like_showtds_top_like_showtds_top_like_showtds_top_like_show चंदौली जिले के बलुआ स्थित पश्चिम वाहिनी गंगा तट पर मौनी अमावस्या ( माघ मेला ) पर लाखों शृद्धालुओ ने पतित पावनी मां गंगा में शृद्धालुओ ने आस्था की डुबकी लगायी। स्नान दान का सिलसिला रात्रि 2 बजकर 18 मिनट से शुरू हो गया। जो देर दोपहर तक चलता रहा । पुलिस प्रसासन की चुस्त
 
पश्चिम वाहिनी गंगा तट पर मौनी अमावस्या के स्नान का है खास महत्व

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चंदौली जिले के बलुआ स्थित पश्चिम वाहिनी गंगा तट पर मौनी अमावस्या ( माघ मेला ) पर लाखों शृद्धालुओ ने पतित पावनी मां गंगा में  शृद्धालुओ ने आस्था की डुबकी लगायी। स्नान दान का सिलसिला रात्रि 2 बजकर 18 मिनट से शुरू हो गया। जो देर दोपहर तक चलता रहा । पुलिस प्रसासन की चुस्त दुरुस्त ब्यवस्था रही । मेले में एक तरफ जहाँ लोग खरीददारी करते नजर आए वही बच्चो ने झूले चरखी आदि का आनन्द लिया ।

पश्चिम वाहिनी गंगा तट पर मौनी अमावस्या के स्नान का है खास महत्व

पश्चिम वाहिनी गंगा तट पर मौनी अमावस्या के स्नान का है खास महत्व
मान्यताओं के अनुसार शुक्रवार को बलुआ स्थित पश्चिम वाहिनी गंगा तट पर मौनी अमावस्या ( माघ मेला ) के अवसर पर लाखों ( 3 से 4 लाख ) की संख्या में शृद्धालुओ ने पतित पावनी माँ गंगा के तट पर आस्था की डुबकी लगाकर लोगो ने पुंडय अर्जित किया । गुरुवार की दोपहर से ही महिलाओं व पुरुषों का झुंड बलुआ पहुचा । जो जिला पंचायत द्वारा बने रैन बसेरा, इंटर कॉलेजों व रिश्तेदारियों में रुककर शुक्रवार की भोर से पूर्व 2 बजकर 18 मिनट की तिथि समयानुसार स्नान शुरू कर दिया ।

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जो देर दोपहर तक स्नान दान का सिलसिला चलता रहा । घाट पर सैकड़ो भिक्षुओ को लोगो ने अनाज दान कर परम्परा का निर्वहन किया । पूरा मेला परिक्षेत्र 5 किलोमीटर तक पुलिस ने चुस्त दुरुस्त ब्यवस्था कर रखी थी । एसडीएम सकलडीहा बिजय नारायण सिंह, क्षेत्राधिकारी सिंह चन्देल ,बलुआ इंस्पेक्टर अतुल नारायण सिंह सहित सैकड़ों की संख्या में पुलिस कर्मी मेले की सुरक्षा में लगे रहे ।

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महात्म्य की दृष्टि से मौनी अमावस्या का मान
1~मौनी अमावस्या ( माघ मेला ) की मान के पीछे कई कई कथाये प्रचलित है । इस दिन मनु ऋषि का जन्म हुआ था । मनु शब्द से ही मौनी अमावस्या नाम पड़ा है । ऐसी भी मान्यता है कि इस स्नान से मानसिक समस्या, डर या वहम से निजात मिलती है । पूरे नियम से ये ब्रत करे तो कुंडली के सभी ग्रह दोष दूर होते है । मौनी अमावस्या में ब्रत कर मौन रहकर स्नान करने का विशेष महत्व है । एक कथा यह भी प्रचलित है कि भगीरथ जी तप करने के बाद जब माँ गंगा को धरती पर जब अवतरित किया था तो गंगा पूरे बेग से चली । वाराणसी होते हुए बलुआ की तरफ एकाएक पश्चिम की तरफ घूमी है । तभी से इसे पश्चिम वाहिनी गंगा तट कहते है और आज ही के दिन गंगा आयी है । ऐसे ही कई मान्यताओं को लेकर लोग आस्था की डुबकी लगाते है ।

पश्चिम वाहिनी गंगा तट पर मौनी अमावस्या के स्नान का है खास महत्व

2~मौनी अमावस्या के अवसर पर चहनियां से बलुआ तक मेले में तरह तरह की दुकाने सजी थी । बाल्मीकि इंटर कालेज के फील्ड में चाट , पकौड़ी , मिष्ठान ,श्रृंगार ,गुड़हिया जलेबी , जाता,चक्की , सील ,लोढ़ा, ओखली आदि की सैकड़ो की दुकान लगी थी । लोगो ने जमकर मेले का लुफ्त उठाया । बच्चे भी झूला ,चरखी , जम्पिंग, आदि का जमकर लुफ्त उठाया।

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3~बलुआ स्थित पश्चिम वाहिनी घाट पर मेले को लेकर चप्पे चप्पे पर पुलिस फोर्स तैनात रही । बाबजूद इसके कई महिलाओं का चैन ,पर्स ,मोबाइल चोरी हो गया । स्वयं सेवी संस्थाओं द्वारा कैम्प लगाकर लोगो की मदद करते रहे । जिला पंचायत सदस्य सतीश कुमार व गंगा सेवा समिति के अध्यक्ष दीपक जायसवाल के देखरेख में सैकड़ो वालेंटियर लगे रहे ।

 

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