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चंदौली में सपा की मजबूरी, भाजपा से दूरी, तो फिर होंगे छत्रबलि सिंह जरूरी…!

tds_top_like_showtds_top_like_showtds_top_like_showtds_top_like_showtds_top_like_show चंदौली जिले में जिला पंचायत अध्यक्ष की कुर्सी पर समाजवादी पार्टी कब्जा को करना चाह रही है, लेकिन उसके पास कोई ऐसा मजबूत उम्मीदवार नहीं है, भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार के साथ-साथ छत्रबलि सिंह के कंडीडेट का मुकाबला कर सके। इसलिए अब ऐसा लग रहा है कि समाजवादी पार्टी सबसे अधिक जिला पंचायत सदस्यों
 
चंदौली में सपा की मजबूरी, भाजपा से दूरी, तो फिर होंगे छत्रबलि सिंह जरूरी…!

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चंदौली जिले में जिला पंचायत अध्यक्ष की कुर्सी पर समाजवादी पार्टी कब्जा को करना चाह रही है, लेकिन उसके पास कोई ऐसा मजबूत उम्मीदवार नहीं है, भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार के साथ-साथ छत्रबलि सिंह के कंडीडेट का मुकाबला कर सके। इसलिए अब ऐसा लग रहा है कि समाजवादी पार्टी सबसे अधिक जिला पंचायत सदस्यों के होने के बावजूद भी किसी एक खेमे में शामिल होगी और संभावना यही दिखाई दे रही है कि वह भारतीय जनता पार्टी समर्थित उम्मीदवार के विरोध में किसी अन्य उम्मीदवार का समर्थन करेगी।

जिले में लगता है कि समाजवादी पार्टी के पास छत्रबलि सिंह के कैंडिडेट दीनानाथ शर्मा का समर्थन करने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचेगा, क्योंकि पार्टी के अंदर गुटबाजी है और सारे लोग एक साथ रहेंगे इसकी कोई गारंटी भी नहीं है।

समाजवादी पार्टी की जिला पंचायत अध्यक्ष को लेकर हुई बैठकों में पूर्व सांसद रामकिशुन यादव और पूर्व विधायक मनोज सिंह डब्लू नदारद रहे। इन दोनों के पास पांच जिला पंचायत सदस्य होने की बात कही जा रही है। इसके अलावा सपा के टिकट पर जीते दस सदस्य मिलकर विरोधी दल में हड़कंप मचा सकते हैं। पर ऐसा होने की कोई उम्मीद नहीं दिखायी दे रही है। पर सारे लोग पार्टी के आदेश पर काम करने की बातें तो खूब कर रहे हैं।

आपको बता दें कि चंदौली जिले में 35 जिला पंचायत सदस्यों की सीट पर हुए चुनाव में सर्वाधिक 10 सीट समाजवादी पार्टी के सदस्यों ने जीती हैं। इसके अलावा उसके तीन बागी उम्मीदवार भी जीते हैं, जिनमें 2 उम्मीदवार पूर्व सांसद रामकिशुन यादव के परिवार से संबंध रखते हैं, जबकि एक बागी उम्मीदवार सैयदराजा के पूर्व विधायक मनोज कुमार सिंह डब्लू के समर्थन से जीत हासिल करने में कामयाब हो गया है।

इसके साथ ही साथ दो और ऐसे उम्मीदवार हैं जो समाजवादी पार्टी के लोगों की मदद से ही जीते हैं। ऐसे में यह माना जा रहा है कि फिलहाल समाजवादी पार्टी के पास 15 जिला पंचायत सदस्य तो पक्के हो सकते हैं। अगर छत्रबलि सिंह के 3 निर्दलीय जिला पंचायत सदस्य एकजुट हो जाते हैं तो आसानी से जिला पंचायत अध्यक्ष की सीट पर समाजवादी पार्टी या समाजवादी पार्टी से समर्थित उम्मीदवार का कब्जा हो जाएगा। लेकिन दिन प्रतिदिन बदल रही राजनीति और समीकरण के मद्देनजर ऐसा लगने लगा है कि समाजवादी पार्टी खुद अपना उम्मीदवार लड़ाने के बाजार किसी ऐसे उम्मीदवार पर दांव खेलेगी जो भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार को टक्कर दे सके।

ऐसे में अब ज्यादा संभावना बन रही है कि समाजवादी पार्टी के ज्यादातर जिला पंचायत सदस्य छत्रबलि सिंह के खेमे में जाएंगे और अगर छत्रबलि सिंह से व्यक्तिगत तौर पर नाराजगी रखने वाले एक दो लोगों ने बगावत की तो सपा और छत्रबलि सिंह का यह खेल बिगड़ सकता है।

वहीं दूसरी ओर भारतीय जनता पार्टी भी साहब सिंह को आगे करके जिला पंचायत चुनाव में अपनी जीत सुनिश्चित करना चाह रही है। भारतीय जनता पार्टी के टिकट पर जीते 8 उम्मीदवारों के अलावा उसे बहुजन समाजवादी पार्टी के टिकट पर जीते चार उम्मीदवारों से समर्थन की आस है।

इसके अलावा भारतीय जनता पार्टी के दिग्गज नेताओं व विधायकों का मानना है कि उनके संपर्क में सभी निर्दलीय जिला पंचायत सदस्य हैं। ऐसे में वह जिसे चाहेंगे उसे जिला पंचायत अध्यक्ष की कुर्सी पर बैठने में कामयाब हो जाएंगे।

अब देखना यह है कि निर्दलीय सदस्यों के दम पर अपने इस ख्वाब को पूरा करने में कौन कामयाब होता है। भारतीय जनता पार्टी अपना कब्जा करने में कामयाब होती है कि छत्रबलि सिंह एक बार फिर अपने खास खास को यह कुर्सी दिलवाकर जिला पंचायत में 5 साल फिर से अपना राज चलाने में कामयाब हो जाते हैं।

राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि भले ही पार्टी के नेता अपने पास आंकड़ों का दावा करें लेकिन यह पूरा खेल पैसे की लेनदेन पर आधारित होगा। पैसा मिलने पर किसी भी दल का कोई भी सदस्य इधर से उधर जा सकता है। यह काम पिछले चुनाव में हो चुका है तो इस चुनाव में भी इसकी पूरी संभावना है। बस देखना यह है कि कौन सर्वाधिक जोर लगाता है और किसके खेमे में 18 से अधिक जिला पंचायत सदस्य चले जाते हैं।

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