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क्या किसी अधिकारी व नेता को दिखती है कर्मनाशा लेफ्ट की जलकुंभी, है कोई सफाई का प्लान

tds_top_like_showtds_top_like_showtds_top_like_showtds_top_like_showtds_top_like_show चंदौली जिले में नहरों व माइनरों की सफाई नहीं होने से किसानों को खेतों की सिंचाई के लिए जूझना पड़ेगा। चाहे बड़ी नहरें हों या छोटी सबकी स्थिति एक जैसी है। लेफ्ट कर्मनाशा नहर को लें तो घास-फूस व जलकुंभी से पटी नहर से खेतों तक पानी पहुंचना मुश्किल है। हालांकि किसान नहरों की सफाई
 
क्या किसी अधिकारी व नेता को दिखती है कर्मनाशा लेफ्ट की जलकुंभी, है कोई सफाई का प्लान

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चंदौली जिले में नहरों व माइनरों की सफाई नहीं होने से किसानों को खेतों की सिंचाई के लिए जूझना पड़ेगा। चाहे बड़ी नहरें हों या छोटी सबकी स्थिति एक जैसी है। लेफ्ट कर्मनाशा नहर को लें तो घास-फूस व जलकुंभी से पटी नहर से खेतों तक पानी पहुंचना मुश्किल है। हालांकि किसान नहरों की सफाई के बाबत कई बार सक्षम अधिकारियों से गुहार लगा चुके हैं, लेकिन समस्या पर ध्यान नहीं दिया जा रहा है।

कृषि प्रधान जनपद में धान की कटाई का कार्य शुरू हो गया है। बड़े किसानों को छोड़ दें तो छोटे व मझोले किसान युद्ध स्तर पर धान की कटाई व मड़ाई के कार्य में जुटे हैं। मानसून के साथ धान की खेती तो जैसे-तैसे हो गई। लेकिन रबी के सीजन में गेहूं की सिचाई को उन्हें पानी के लिए नाकों चने चबाने पड़ेंगे।

चाहे कर्मनाशा सिस्टम से जुड़ी नहरें हों या चंद्रप्रभा सफाई के नाम पर सभी की स्थिति एक जैसी है। किसानों की लाइफ लाइन कही जाने वाली लेफ्ट कर्मनाशा का हाल बदहाल है। नहर घास-फूस व झाड़ -झंखाड़ से तो पटी ही है। जलकुंभी का जाल ऐसा फैला है की पानी खेतों तक पहुंच ही नहीं पा रहा।

प्रतापपुर गांव से कांटा साइफन तक नहर में इस कदर जलकुंभी लगी है कि पानी का प्रवाह ही रुक जाता है। ऐसे में टेल की कौन कहे हेड के किसानों को ही पानी का संकट झेलना पड़ेगा। किसानों ने जिला प्रशासन का ध्यान आकृष्ट कराया है।

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