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महा अष्टमी के दिन पूजन का यह है सही मुहूर्त, नवमी के दिन भी करें पूजा

tds_top_like_showtds_top_like_showtds_top_like_showtds_top_like_showtds_top_like_show नवरात्रि हिंदू धर्म का एक खास त्यौहार माना जाता है, जिसमें नौ दिनों तक मां दुर्गा के अलग-अलग रूपों की पूजा की जाती है। ऐसी मान्यता है कि नौ दिनों तक मां दुर्गा की सच्चे मन से पूजा करने तमाम तरह के लाभ मिलते हैं। अबकी बार शारदीय नवरात्रि 29 सितंबर से 7 अक्टूबर तक
 

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नवरात्रि हिंदू धर्म का एक खास त्यौहार माना जाता है, जिसमें नौ दिनों तक मां दुर्गा  के अलग-अलग रूपों की पूजा की जाती है। ऐसी मान्यता है कि नौ दिनों तक मां दुर्गा की सच्चे मन से पूजा करने तमाम तरह के लाभ मिलते हैं। अबकी बार शारदीय नवरात्रि 29 सितंबर से 7 अक्टूबर तक हैं।

नवरात्रि के दौरान भक्त उपवास, पूजा, नियम, भजन और योगा करते हैं। इस साल दुर्गाष्टमी 6 अक्टूबर (रविवार) को मनायी जा रही है। अष्टमी तिथि 5 अक्टूबर को 9 बजकर 51 मिनट से शुरू होकर 6 अक्टूबर के सुबह 10 बजकर 54 मिनट तक है।

अष्टमी का विशेष महत्व

नवरात्रि के 9 दिनों में अष्टमी का विशेष महत्व है। इस दिन मां दुर्गा के महागौरी स्वरूप की पूजा की जाती है। बंगाल में महाष्टमी के दिन का खास महत्व होता है। महाष्टमी का प्रारंभ होम और संधिपूजा से किया जाता है। मां दुर्गा के समक्ष 108 दीप प्रज्वलित करते हैं और फिर मंत्रोच्चार करके संधिक्षण में देवी मां की प्राण प्रतिष्ठा की जाती है। इसके अलावा दुर्गाष्टमी को सभी लोग मां दुर्गा को पुष्पांजलि अर्पित करते हैं। खासतौर पर बंगाल में महाष्टमी के दिन मां दुर्गा को पुष्पांजलि अर्पित करने को महत्व दिया जाता है।

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, भगवान श्रीकृष्ण और धर्मराज युधिष्ठिर ने नवरात्रि के महानवमी और दुर्गाष्टमी की पूजा पर चर्चा की थी। इसका उल्लेख पुराणों में है। दुर्गाष्टमी और महानवमी की पूजा सभी युगों में होती रही है।

आदिशक्ति मां दुर्गा की पूजा देव, नर, मुनि, गंधर्व, असुर सभी करते हैं। उनके कई स्वरूपों की पूजा की जाती है। वह काली, माया, दुर्गा, चामुण्डा, कात्यायिनी, जगदम्बा, भवानी, हिंगलाज माता, कामाख्या देवी आदि के नामों से प्रसिद्ध हैं।

महा अष्टमी के दिन मां महागौरी की पूजा होती है। माता के इस रूप को नारियल का भोग लगाना चाहिए। महा-अष्टमी को महा दु्र्गाष्टमी के नाम से भी जाना जाता है। अष्टमी पूजा नवरात्रि के दौरान विशेष महत्व होता है। इस दिन भक्त कुंवारी या कंजक भी खिलाते हैं।

महानवमी को खोलते हैं व्रत

कुछ लोग महा-अष्टमी के बाद आने वाली महानवमी को भी पूजा पाठ करते हैं। इस साल महानवमी 7 अक्टूबर को है। नवमी के दिन भक्त अपने हवन-पूजन करने के बाद नौ दिनों के उपवास को खोलते हैं। इस दिन भी कंजकों को भोजन कराना उत्तम माना गया है, हालांकि नवरात्रि के नौ दिनों में किसी भी दिन कंजक खिलाए जा सकते हैं।

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