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मनोज सिंह के घर पहुंची पुलिस, बोले- दम हो तो FIR कराएं, उन्हीं की भाषा में दूंगा जवाब

tds_top_like_showtds_top_like_showtds_top_like_showtds_top_like_showtds_top_like_show चन्दौली जिले में शहीद स्मारक में समाजवादी पार्टी के पूर्व विधायक मनोज सिंह डब्लू द्वारा समाजवादी झंडा फहराने की राजनीति गर्म होने लगी है, जिसको लेकर मनोज कुमार सिंह डब्लू ने वर्तमान विधायक सुशील सिंह को चैलेंज भी दे डाला है और कहा है कि विधायक में दम है तो FIR करके दिखाएं। शायद विधायक
 
मनोज सिंह के घर पहुंची पुलिस, बोले- दम हो तो FIR कराएं, उन्हीं की भाषा में दूंगा जवाब

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चन्दौली जिले में शहीद स्मारक में समाजवादी पार्टी के पूर्व विधायक मनोज सिंह डब्लू द्वारा समाजवादी झंडा फहराने की राजनीति गर्म होने लगी है, जिसको लेकर मनोज कुमार  सिंह डब्लू ने वर्तमान विधायक सुशील सिंह को चैलेंज भी दे डाला है और कहा है कि विधायक में दम है तो FIR करके दिखाएं। शायद विधायक जी भूल रहे हैं कि उनके द्वारा भी कार्यक्रमों के दौरान बैनर और झंडे का शहीद स्मारक में  प्रयोग किया जाता रहा है। 

बताते चलें कि शहीद स्मारक धानापुर में उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव के 82 वें  जन्मदिन के अवसर पर सपाइयों द्वारा कार्यक्रम के दौरान समाजवादी ध्वजारोहण करके शहीद स्मारक की परंपरा को ठेस पहुंचाने का कार्य किया गया था। जिस पर वर्तमान विधायक व शहीद स्मारक के संरक्षक सुशील सिंह ने कहा था कि समाजवादी पार्टी द्वारा शहीदों का अपमान करते हुए समाजवादी पार्टी के झंडे का ध्वजारोहण शहीद स्मारक पर किया गया है ।

मनोज सिंह के घर पहुंची पुलिस, बोले- दम हो तो FIR कराएं, उन्हीं की भाषा में दूंगा जवाब

इस मामले पर  पूर्व विधायक मनोज सिंह डब्लू का कहना है कि यह कार्यक्रम गरीब व विकलांग जनता के लिए रखा गया था, जिसमें जनता को ठंडी से बचाव के लिए कंबल, साड़ी इत्यादि उपयोगी वस्तुओं का वितरण किया गया।  इस कार्यक्रम की शुरुआत से पहले शहीदों को माल्यार्पण कर उनको नमन किया गया, उसके बाद इस कार्यक्रम को किया गया।  इस कार्यक्रम में मंच ध्वजारोहण स्थल का भी प्रयोग नहीं किया गया था।

  यदि दूसरे दलों द्वारा राजनीतिक तूल देते हुए बयानबाजी व एफआईआर दर्ज कराने की धमकी दी जा रही है तो यह हमें सहर्ष स्वीकार है, क्योंकि इसके पहले भी शहीद स्मारक में सभी दलों द्वारा कार्यक्रम किया गया था और अपने अपने झंडे तथा बैनर पोस्टर भी लगाए गए थे.. तब क्या शहीदों व सैनिकों का अपमान नहीं हुआ था। अगर उस समय भी  सम्मान व अपमान का ध्यान दिया गया होता तो शायद मैं भी शहीद स्मारक के मंच और ध्वजारोहण स्थल का भी प्रयोग नहीं करता। वहां अलग से मंच भी बनाया गया था और ध्वजारोहण स्थल को भी अलग ही प्रयोग किया गया था। इसके बाद भी इसको लेकर किसी प्रकार की राजनीति होती है तो यह कदापि बर्दाश्त नहीं होगी। जो जैसा करेगा उसे उसी की भाषा में जवाब दिया जाएगा।

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