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रामबिहारी चौबे हत्याकांड : विधायक सुशील सिंह की भूमिका की होगी फिर से होगी जांच, खुलेगी बंद फाइलें

tds_top_like_showtds_top_like_showtds_top_like_showtds_top_like_showtds_top_like_show सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को वर्ष 2015 में वाराणसी के चौबेपुर क्षेत्र के श्रीकंठपुर निवासी बसपा नेता रामबिहारी चौबे की हत्या में सैयदराजा के भाजपा विधायक सुशील सिंह की मिली क्लीन चिट को दरकिनार करते हुए फिर से जांच करने का आदेश देते हुए कहा कि यह जांच केवल दिखावा और सच्चाई को छुपानी वाली
 
रामबिहारी चौबे हत्याकांड : विधायक सुशील सिंह की भूमिका की होगी फिर से होगी जांच, खुलेगी बंद फाइलें

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सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को वर्ष 2015 में वाराणसी के चौबेपुर क्षेत्र के श्रीकंठपुर निवासी बसपा नेता रामबिहारी चौबे की हत्या में सैयदराजा के भाजपा विधायक सुशील सिंह की मिली क्लीन चिट को दरकिनार करते हुए फिर से जांच करने का आदेश देते हुए कहा कि यह जांच केवल दिखावा और सच्चाई को छुपानी वाली है।

मामले में जस्टिस रोहिंटन नरीमन जस्टिस नवीन सिन्हा और जस्टिस कृष्ण मुरारी की पीठ बसपा नेता की हुई हत्या के मामले में पुलिस द्वारा चंदौली के सैयदराजा के भाजपा विधायक सुशील सिंह को लेकर दायर की गई क्लोजर रिपोर्ट को दरकिनार करते हुए फिर से जांच करने का आदेश दिया है। इतना ही नहीं सुप्रीम कोर्ट ने इस जांच की निगरानी का भी फैसला किया है।

रामबिहारी चौबे हत्याकांड : विधायक सुशील सिंह की भूमिका की होगी फिर से होगी जांच, खुलेगी बंद फाइलें

पीठ ने इस जांच के लिए विशेष जांच दल (एसआईटी) का गठन किया है और आईपीएस अधिकारी सत्यार्थ अनुज पंकज को एसआईटी का अध्यक्ष बनाया है। पीठ ने एसआईटी को दो महीने के भीतर जांच का काम पूरा करने के लिए कहा है।

वरिष्ठ पुलिस अधिकारी पंकज को अपने पसंद के अधिकारियों को एसआईटी में शामिल करने की छूट दी गई है। पीठ ने इस मामले में वाराणसी पुलिस के कामकाज पर सवालिया निशान लगाया है। पीठ ने पाया कि किस तरीके से मृतक के बेटे अमरनाथ चौबे द्वारा सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर करने के बाद जल्दबाजी में भाजपा विधायक सिंह को लेकर क्लोजर रिपोर्ट दायर की गई।

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बसपा नेता के बेटे ने याचिका दायर कर जांच में खामियों का जिक्र किया था। पीठ ने पाया कि चार दिसंबर, 2015 को एफआईआर दर्ज की गई थी। इस मामले में आठ जांच अधिकारियों को बदला गया था। काफी समय तक जांच लंबित थी और सात सितंबर 2018 में अदालत द्वारा नोटिस किए जाने के बाद नवंबर 2019 में सुशील सिंह के खिलाफ मामले को बंद कर दिया गया।

सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा है, जांच एक दिखावा प्रतीत होता है। इस मामले में जांच से अधिक छिपाने के कोशिश की गई। हम यह कहने को विवश हैं कि जांच और क्लोजर रिपोर्ट की प्रवृत्ति गैरजिम्मेदाराना और आनन-फानन वाली है। पीठ ने पुलिस की उस रिपोर्ट को दरकिनार कर दिया, जिनमें इस आधार पर सुशील सिंह के खिलाफ मामला बंद करने की गुहार लगाई गई थी कि मृतक का बेटा कोई भी ठोस सबूत देने में विफल रहा।

सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि पुलिस का प्राथमिक कर्तव्य है कि वह एक संज्ञेय अपराध के जानकारी की रिपोर्ट प्राप्त करने पर जांच करे। यह दंड प्रक्रिया संहिता के तहत एक संवैधानिक कर्तव्य है। इसके अलावा यह संवैधानिक दायित्व भी है कि समाज में शांति सुनिश्चित की जाए और कानून के शासन स्थापित रहे।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि यह जरूर है कि जांच का काम पुलिस का है, लेकिन अगर पुलिस कानून के अनुसार अपना वैधानिक कर्तव्य नहीं निभाती है तो अदालत अपने कर्तव्यों का पालन करने से पीछे नहीं हट सकती। अदालत का एक संवैधानिक दायित्व है कि वह सुनिश्चित करे कि जांच कानून के अनुसार की जाए। एक निष्पक्ष जांच भारत के संविधान के अनुच्छेद 14 (समानता का अधिकार) और 21 (जीवन का अधिकार) का एक आवश्यक तत्व है।

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