जिले का पहला ऑनलाइन न्यूज़ पोर्टलMovie prime

आज नाग पंचमी पर है अद्भुत संयोग, ऐसे मनाएं त्यौहार

tds_top_like_showtds_top_like_showtds_top_like_showtds_top_like_showtds_top_like_show भगवान शंकर को समर्पित सावन महीने के शुक्ल पक्ष पंचमी को नागपंचमी का त्यौहार मनाया जाता है। इस वर्ष यह पर्व सोमवार यानि पांच अगस्त को है और यह कई मायनों में खास है। तिथि व ज्योतिष गणना के हिसाब से ऐसा दुलर्भ संयोग 125 वर्षों बाद मिलने वाला है। नाग पंचमी पर इस बार
 

tds_top_like_showtds_top_like_showtds_top_like_showtds_top_like_showtds_top_like_show

भगवान शंकर को समर्पित सावन महीने के शुक्ल पक्ष पंचमी को नागपंचमी का त्यौहार मनाया जाता है। इस वर्ष यह पर्व सोमवार यानि पांच अगस्त को है और यह कई मायनों में खास है। तिथि व ज्योतिष गणना के हिसाब से ऐसा दुलर्भ संयोग 125 वर्षों बाद मिलने वाला है। नाग पंचमी पर इस बार सिद्धि, सर्वार्थसिद्ध व रवि का अद्भूत त्रियोग है। जिनकी कुंडली में कालसर्प दोष है, उसके निवारण के लिए पूजन-अर्चन का यह सर्वश्रेष्ठ मुहुर्त है।

नाग पंचमी पर अद्भुत संयोग होने से हर घरों में विशेष पूजन-अर्चन की तैयारी अंतिम चरण में है। कुछ गांवों में नाग पंचमी पर कुश्ती दंगल भी होता है।

ऐसा न करें

ज्योर्तिविद कहते हैं, नाग पूजन हमेशा मंदिर में ही करना चाहिए। संपेरों द्वारा पकड़े गये नागों के पूजन से यथासंभव परहेज करना चाहिए। संभव हो तो संपेरों को पैसा आदि देकर नागदेव को मुक्त कराने की कोशिश करनी चाहिए। बताया कि पंचमी तिथि के स्वामी नाग हैं। महर्षि कश्यप व उनकी पत्नी कदू्र के तीन पुत्र अनंत, तक्षक व वासुकी सभी सांपों के जनक माने जाते हैं। बताया कि नाग भगवान शिव के गले में आभूषण हैं, वहीं भगवान विष्णु की शय्या भी हैं। सावन महीने के आराध्य देव भगवान शंकर माने जाते हैं।

 

चूंकि यह महीना वर्षा ऋतु में आती है, परिणाम स्वरूप भू-गर्भ से नाग निकल कर भू-तल पर आ जाते हैं। वह किसी का अहित न करें इसके लिए नाग पंचमी की पूजा करने की परम्परा हमारी संस्कृति में है।

शुभ मुहूर्त

 05 अगस्त (सोमवार) सुबह से 8:28 शाम तक शुभ मुहूर्त 

‘ पंचमी तिथि प्रारम्भ 04 अगस्त रविवार रात्रि 11 बजकर 2 मिनट से

‘ पंचमी तिथि समाप्ति 05 अगस्त सोमवार रात्रि 8 बजकर 40 मिनट

ऐसे करें पूजा पाठ

नागपंचमी के दिन सुबह घर की सफाई कर स्नान करें। घर के मुख्य द्वार के दोनों ओर नाग का चित्र बनाएं। दूध-धान का लावा, दुर्वा व सुगन्धित पुष्प आदि चढ़ाएं। प्रसाद के लिए मीठा प्रसाद सेवई आदि उपयुक्त होता है। कहा कि लकड़ी के तख्त पर नया कपड़ा बिछाकर उस पर नागदेवता की मूर्ति या तस्वीर रखनी चाहिए। इसके बाद जल, फूल व चंदन से अर्घ्य दें। नाग प्रतिमा का पंचामृत से स्नान कराएं। प्रतिमा पर चंदन, गंध से युक्त जल चढ़ाना चाहिए। नये वस्त्र, सौभाग्य सूत्र, चंदन, हरिद्रा, चूर्ण, कुमकुम, सिंदूर, बेलपत्र, आभूषण और पुष्प माला, सौभाग्य, द्रव्य, धूप दीप, नैवेद्य, ऋतु फल, तांबूल चढ़ाकर पूजन करना चाहिए तथा अंत में आरती करें।

नाग देवता की पूजा करते समय नाग देवता के मंत्र   ‘ॐ नवकुलाय विद्महे विषदंताय धीमहि तन्नो सर्प प्रचोदयात…’ 11 बार जप जरूर करना चाहिए। अगर कुंडली में काल सर्पदोष है तो ‘ऊँ कुरुकुल्ये हुं फट स्वाहा’ का जप अवश्य करें।

चंदौली जिले की खबरों को सबसे पहले पढ़ने और जानने के लिए चंदौली समाचार के टेलीग्राम से जुड़े।*