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नवरात्र में चल रही है रामकथा, प्रभु राम का हुआ वन गमन व राजा दशरथ के निधन पर शोक

tds_top_like_showtds_top_like_showtds_top_like_showtds_top_like_showtds_top_like_show चंदौली जिले के तहसील नौगढ़ के कस्बा में चल रहे संगीतमय श्रीराम कथा की छठवीं निशा में शुक्रवार की रात आकर्षक झांकी के बीच कथा वाचिका सुनीता ने राम वन गमन, माता शबरी को नवधा भक्ति का उपदेश एवं पंचवटी में पर्णकुटी बनाने की मार्मिक कथा सुनाकर भक्तों को भावविह्वल कर दिया। वन गमन का
 
नवरात्र में चल रही है रामकथा, प्रभु राम का हुआ वन गमन व राजा दशरथ के निधन पर शोक

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चंदौली जिले के तहसील नौगढ़ के कस्बा में चल रहे संगीतमय श्रीराम कथा की छठवीं निशा में शुक्रवार की रात आकर्षक झांकी के बीच कथा वाचिका सुनीता ने राम वन गमन, माता शबरी को नवधा भक्ति का उपदेश एवं पंचवटी में पर्णकुटी बनाने की मार्मिक कथा सुनाकर भक्तों को भावविह्वल कर दिया। वन गमन का प्रसंग सुनाते हुए कथा वाचिका ने कहा कि कैकयी के वरदान पर जब प्रभु श्रीराम को 14 वर्ष का बनवास हुआ तो वह वल्कल वस्त्र में सीता और लक्ष्मण के साथ जंगल की ओर चल दिए तो उनके साथ पूरी अयोध्या चल पड़ी और पहली रात तमसा नदी के तट पर बितायी। राम वन गमन के छठवें दिन पुत्र के वियोग में राजा दशरथ ने अपने प्राण त्याग दिए।

कथा वाचिका ने बताया की पिता की आज्ञा का पालन करते हुए श्रीराम ने राजपाट त्याग कर वन का रुख करने में तनिक भी देरी नहीं लगाई लेकिन आजकल की ऐसी संतानें कम ही देखने को मिलती है। चौपाइयों के बीच पंचवटी की ओर रवाना होने के दौरान प्रभु श्री राम भक्त शबरी के आश्रम पहुंच कर झूठे बेर खाए और शबरी माता को श्राप से मुक्त किया।

कथा के दौरान संगीतकार रिंकू रसिया ने अपने मधुर संगीतो के जरिए श्रद्धालुओं को भगवान के भक्ति रस में डुबोने का अभूतपूर्व प्रयास किया। कथा वाचिका ने कहा कि भगवान भक्तों के भाव के भूखे होते हैं उन्हें 56 भोग पकवान की कोई चाह नहीं है। प्रभु ने प्रेम पूर्वक माता शबरी को नवधा भक्ति का उपदेश दिया जिसे पाकर शबरी माता धन्य हो गई और परमधाम प्राप्त किया।

नवरात्र में चल रही है रामकथा, प्रभु राम का हुआ वन गमन व राजा दशरथ के निधन पर शोक

भगवान राम की आरती में शंकर सोनी, मारकंडे जायसवाल, केदार केसरी, ओम प्रकाश जायसवाल, गुलाब केसरी, कांता जुयसवाल, मनसा मद्धेशिया, शिव नारायण जायसवाल, शंकर सोनी, जगन्नाथ गोंड, विजय सोनकर, शशिकांत केसरी, संजय मोदनवाल, सुदर्शन केसरी, लाल बरत विश्वकर्मा, नान्हु माली, हिमांशु जायसवाल, शिवांशु जायसवाल, हरि माली, प्रदीप कुमार और शांति पांडे का परिवार सहित बड़ी संख्या में महिलाएं और पुरुष मौजूद रहे।

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