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बाढ़ राहत के नाम पर हो रही है कागजी खानापूर्ति, देख लीजिए यह नमूना

tds_top_like_showtds_top_like_showtds_top_like_showtds_top_like_showtds_top_like_show चंदौली समेत तमाम जिलों के लोग जहां बाढ़ की विभीषिका से लोग मारे मारे फिर रहे हैं, वहीं सरकार के निर्देश के बाद भी अधिकारी एवं कर्मचारी पीड़ितों से मदद के नाम पर केवल कागजी खानापूर्ति करने में जुटे हैं। इसका जीता जागता नमूना सकलडीहा तहसील क्षेत्र के मॉडल बाढ़ राहत केंद्र मारुखपुर में देखने
 

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चंदौली समेत तमाम जिलों के लोग जहां बाढ़ की विभीषिका से लोग मारे मारे फिर रहे हैं, वहीं सरकार के निर्देश के बाद भी अधिकारी एवं कर्मचारी पीड़ितों से मदद के नाम पर केवल कागजी खानापूर्ति करने में जुटे हैं। इसका जीता जागता नमूना सकलडीहा तहसील क्षेत्र के मॉडल बाढ़ राहत केंद्र मारुखपुर में देखने को मिला।

यहां कुल 22 लोगों की कागजी आदेश जारी करके पीड़ितों की मदद के लिए ड्यूटी लगाई गई है, जिसमें कुछ लोग या तो रिटायर हो चुके हैं या फिर कहीं अन्यत्र ट्रांसफर हो गए हैं।

ऐसे खुली पोल

इस सूची में अशोक कुमार त्रिपाठी सहायक ग्राम विकास अधिकारी की ड्यूटी लगाई गई है। जब उनके नंबर बात की गई तो उन्होंने बताया कि वह एक साल पहले से सेवानिवृत्त हो चुके हैं। इससे यह प्रतीत हो रहा है कि केवल कागजों पर ही बाढ़ पीड़ितों की मदद की जा रही है।

यह है असली कारण

ग्रामीणों की मानें तो यह सूची 2016 की है। केवल अधिकारियों का नाम बदल कर जिस तरह उस समय ड्यूटी लगाई गई थी,उसी तरह प्रकाशित कर दी गई है । अधिकारियों ने भी ड्यूटी लगे सूची का परीक्षण करने की जहमत नही उठाई।
जहां क्षेत्र के दर्जनों गांव के लोग गंगा के भीषण जल प्रवाह के कारण घर छोड़कर पलायन करने की स्थिति में आ गए हैं, वही राहत के नाम पर केवल खानापूर्ति की जा रही है।

इस संबंध में अधिकारियों से बात करने की कोशिश की गई लेकिन कोई भी माकूल जवाब देने को तैयार नहीं हुआ।

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