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क्या किसी अफसर व नेताजी को दिखती है नहरों की यह सफाई व जलकुंभी …!

tds_top_like_showtds_top_like_showtds_top_like_showtds_top_like_showtds_top_like_show चंदौली जिले को धान का कटोरा, किसानी व खेती वाला जिला, अन्नदाता किसान जैसे शब्दों का इस्तेमाल करके जनसभाओं में ताली बजवाने वाले नेताओं व लाखों करोड़ों का हर साल बजट खपाने वाले अफसरों को शायद नहरों व माइनरों की जलकुंभी नहीं दिखती है। उन्हें दिखती भी होगी तो पहले से ही कोई न कोई
 
क्या किसी अफसर व नेताजी को दिखती है नहरों की यह सफाई व जलकुंभी …!

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चंदौली जिले को धान का कटोरा, किसानी व खेती वाला जिला, अन्नदाता किसान जैसे शब्दों का इस्तेमाल करके जनसभाओं में ताली बजवाने वाले नेताओं व लाखों करोड़ों का हर साल बजट खपाने वाले अफसरों को शायद नहरों व माइनरों की जलकुंभी नहीं दिखती है। उन्हें दिखती भी होगी तो पहले से ही कोई न कोई बहाना सोच रखे होंगे की जनता पूछेगी तो क्या बोलना है।

आप चंदौली जिले की चंद्रप्रभा प्रखंड से निकली नहरों व माइनरों की सफाई की हालत देखकर जिले के विकास पुरूषों व जनहितैषी नेताओं के साथ साथ लापरवाह और ‘खाउबीर’ अफसरों का का अंदाजा लगा सकते हैं।

क्या किसी अफसर व नेताजी को दिखती है नहरों की यह सफाई व जलकुंभी …!

यहां के खेती बारी करने वाले किसान भी केवल मीडिया व पत्रकारों के पूछने पर रोष व्याप्त करके बैठ जाते हैं। वहीं कुछ तथाकथित किसान नेता केवल सिंचाई बंधु समेत किसानों के कल्याण के लिए लगने वाले मेले व बैठकों में अपने काम कराकर खिसक लेते हैं। अफसर भी यहां के लोगों के साथ साथ चापलूस नेताओं की नब्ज पहचान गए हैं तभी तो आपको यह नजरा देखने को मिल रहा है।

कहा जा रहा है कि इलाके के क्षेत्रीय किसानों ने सिंचाई विभाग के अधिकारियों पर आरोप लगाते हुए कहा कि धान के रोपाई शुरू हो गई है। लेकिन अभी तक किसी भी नहर की सफाई नहीं कराई गई है। दावा किया जा रहा है कि समस्या का समाधान नहीं होने पर आन्दोलन भी किया जाएगा..पर इसकी कोई टाइमलाइन नहीं है..बस रटा रटाया बयान है।

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चंद्रप्रभा बांध से जुड़ी सीपी रेगुलेटर से निकली मेन नहर बसंतपुर राजवाहा की अभी तक सफाई नहीं हुई। जलकुंभी से नहर पूरी तरह पट चकी है। इससे किसानों को पानी नहीं मिल रहा। वही नहरों का तटबंध क्षतिग्रस्त हो गया है। बसंतपुर राजवाड़ा से जुड़ी भवतपुरा जगदीशपुर नहर, टड़िया सीकरी माइनर, दिघवट बनौली नहर, अगन्धपुर सलेमपुर नहर, बजहा परमानन्दपुर माइनर, सीकरी बरिया माइनर आदि की स्थिति दयनीय है।

किसानों ने बताया कि कई नहरों का तटबंध टूटने से नहर का अस्तित्व ही समाप्त हो गया है । किसानों का आरोप है ये विभागीय अधिकारी अपनी प्राथमिकता कैसे तय करते हैं…कैसे अपनी जिला योजना बनाते हैं..जिले के जिलाधिकारी व सीडीओ कैसे उसे आंख मूद कर मान लेते हैं..और प्रभारी मंत्री व जिले के विकास पुरुष कहे जाने वाले माननीय कैसे सरकारी काजू-चाय-बिस्कुट के एहसान तले ‘ऑल इज वेल’ कहते हुए कहते हैं..अबकी बार कई सौ करोड़ की जिले के विकास की योजना बनायी गयी है..जिले को अग्रणी जिलों में लाने के प्रयास किये जाएंगे। यह सब कब होगा..कैसे होगा..क्या पहले होगा…क्या बाद में होगा …यह कुछ नहीं बताते हैं..।

क्या किसी अफसर व नेताजी को दिखती है नहरों की यह सफाई व जलकुंभी …!

अगले दिन मीटिंग की अखबारों में फोटो छप जाती है…नेता जी फेसबुक पर भी विकास की योजनाओं का ढिंढ़ोरा पीट लेते हैं…कुछ लोग कमेंट में बधाई भी दे देते हैं और हो जाता है..जिले का विकास…।

इस साल भी नहरों की सफाई के लिए शासन से धन मिला या नहीं यह साहब व नेताजी बता सकते हैं… लेकिन समस्या दूर नहीं हुई यह तो फोटो बोल ही रही है…।

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