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किसानों को जागरूक करने के लिए आयोजित की गई गोष्ठी, पराली के लिए दिए गए टिप्स

tds_top_like_showtds_top_like_showtds_top_like_showtds_top_like_showtds_top_like_show चंदौली जिले में किसानों को जागरूक करने के लिए लगातार कृषि विभाग जनपद में अनेकों कार्यक्रम आयोजित कर रहा है। उसी क्रम में सकलडीहा ब्लाक परिसर में कृषि गोष्ठी का आयोजन किया गया, जिसमें कृषि विभाग द्वारा सरकारी योजनाओं के बारे में जानकारी के साथ मुख्य रूप से पराली न जलाने को लेकर चर्चा की
 
किसानों को जागरूक करने के लिए आयोजित की गई गोष्ठी, पराली के लिए दिए गए टिप्स

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चंदौली जिले में किसानों को जागरूक करने के लिए लगातार कृषि विभाग जनपद में अनेकों कार्यक्रम आयोजित कर रहा है। उसी क्रम में सकलडीहा ब्लाक परिसर में कृषि गोष्ठी का आयोजन किया गया, जिसमें कृषि विभाग द्वारा सरकारी योजनाओं के बारे में जानकारी के साथ मुख्य रूप से पराली न जलाने को लेकर चर्चा की गई ।

बताते चले की किसान गोष्ठी के आयोजन के दौरान किसानों को सहायक विकास अधिकारी कृषि रक्षा विजय शंकर सिंह ने बताया कि सरकार किसानों की आय को दोगुना करने के लिए लगातार प्रयास कर रही है, वही मिट्टी की उर्वरा शक्ति को बढ़ाने एवं पर्यावरण को संतुलित करने के लिए हम किसान भाइयों को भी योगदान देने की जरूरत है । पराली जलाने से जहां पर्यावरण दूषित होता है वही पृथ्वी की उर्वरा शक्ति एवं सहयोगी जीवाश्म भी नष्ट हो जाते हैं। इनको बचाने के लिए और उर्वरा शक्ति बढ़ाने के लिए हम लोगों को पराली को जलाना नहीं बल्कि उसको उपयोग में लाना होगा ।

अगर हम धान के कटे हुए अवशेष को डी कंपोजर के माध्यम से सड़ाते हैं तो हमारे मिट्टी को 70 प्रतिशत उर्वरा शक्ति प्राप्त होगी। जिससे कार्बनिक खाद की मात्रा कम हो जाएगी । पृथ्वी जो हमें अन्न देती है तो उसको भी 30 प्रतिशत खुराक की जरूरत होती है और यह पराली से ही प्राप्त हो सकती हैं। इसलिए प्रकृति को अपने लिए संतुलित रखने के साथ साथ कार्बनिक खादों के प्रयोग से बचने के लिए तथा अधिक उपज पाने के लिए धान के अवशेषों को हमें जलाना नहीं बल्कि उसको प्रयोग में लाने की जरूरत है।


इस दौरान सकलडीहा के प्राविधिक सहायक डॉ विजय कुमार विमल सहित कृषि विभाग के अधिकारी कर्मचारियों के साथ किसान बंधु भी यहाँ मौजूद रहे।

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