जिले का पहला ऑनलाइन न्यूज़ पोर्टलMovie prime

सात माह में कैसे पूरा होगा ट्रॉमा सेंटर का निर्माण, कोई पूछने वाला नहीं..!

tds_top_like_showtds_top_like_showtds_top_like_showtds_top_like_showtds_top_like_show चंदौली जिले के राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या दो के किनारे महेवा गांव में ट्रॉमा सेंटर का निर्माण सात माह में पूरा होना मुश्किल दिख रहा है। बताया जा रहा है कि अब तक ट्रामा सेंटर की बाउंड्री का निर्माण भी पूरा नहीं हो सका है, जबकि इसे जून 2020 में पूरा होना है। राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन
 
सात माह में कैसे पूरा होगा ट्रॉमा सेंटर का निर्माण, कोई पूछने वाला नहीं..!

tds_top_like_showtds_top_like_showtds_top_like_showtds_top_like_showtds_top_like_show

चंदौली जिले के राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या दो के किनारे महेवा गांव में ट्रॉमा सेंटर का निर्माण सात माह में पूरा होना मुश्किल दिख रहा है। बताया जा रहा है कि अब तक ट्रामा सेंटर की बाउंड्री का निर्माण भी पूरा नहीं हो सका है, जबकि इसे जून 2020 में पूरा होना है।

राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन कार्यक्रम के तहत नियामताबाद ब्लाक के महेवा गांव में राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या दो के किनारे दो बीघे भूमि पर ट्रॉमा सेंटर के निर्माण शुरू किया गया। केंद्रीय मंत्री और चंदौली सांसद डॉ. महेन्द्रनाथ पांडेय की पहल पर आठ दिसंर 2018 को तत्कालीन केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा ने भव्य समारोह के बीच ट्रॉमा सेंटर का शिलान्यास किया।

सात माह में कैसे पूरा होगा ट्रॉमा सेंटर का निर्माण, कोई पूछने वाला नहीं..!

पहले छह बेड जनरल और चार बेड सर्जिकल वाले ट्रॉमा सेंटर की लागत 312.95 लाख रखी गई। हालांकि शिलान्यास के दौरान स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा ने इसकी लागत बढ़ाकर दस करोड़ कर दी। इसमें यहां सौ बेड जनरल और 30 बेड आईसीयू के साथ इमरजेंसी, एक्स रे, सीटी स्कैन, अल्ट्रासांउड आदि की व्यवस्था करनी है। 18 महीने में जून 2010 तक कार्यदायी संस्था सीएंडडीएस को इसका काम पूरा करना था, लेकिन छह माह तक काम ही शुरू नहीं हुुआ। कार्यदायी संस्थाओं की धीमी गति से कार्य करने के कारण निर्माण कार्य रफ्तार नहीं पकड़ पा रहा है।

बाद में काम शुरू हुआ तो लगभग एक वर्ष में अभी बाउंड्री का काम भी अधूरा है। अब सात महीने का समय और बचा है, इतने कम समय में ट्रामा सेंटर के भवन का काम पूरा होना मुश्किल दिख रहा है। क्षेत्रीय लोगों कहना है कि यदि समय से काम पूरा होता तो जरूरतमंदों को इलाज की राहत मिलती लेकिन इसमें देरी होने से दिक्कत होगी।

ऐसी थी योजना

महेवा में बन रहे ट्रामा सेंटर के संचालन को लेकर बात नहीं बन पा रही है। दरअसल पहले इसे सामान्य अस्पताल की तरह ट्रामा सेंटर का नाम दे दिया गया। शिलान्यास के दौरान ही इसकी लागत तीन करोड़ से बढ़ाकर 10 करोड़ कर दी गई और ट्रामा सेंटर को लेवल दो श्रेणी में कर दिया गया। इसमें विशेषज्ञ चिकित्सक और संसाधनों की जरूरत होती है। ऐसे में स्वास्थ्य विभाग ने बीएचयू प्रशासन से संपर्क कर चलाने की बात की मगर संसाधनों बढ़ाने का मामला सामने आ गया। तब से मामला आगे नहीं बढ़ पा रहा है। स्वास्थ्य विभाग के अवर अभियंता विनय कुमार श्रीवास्तव का कहना है कि संचालन के लिए वार्ता चल रही है। जल्द ही इसका समाधान किया जाएगा।

यह होती है सुविधा

लेवन वन- जिला अस्पताल के चिकित्सक डा.संजय कुमार के अनुसार लेवल वन ट्रॉमा में सेंटर न्यूरोलॉजी, कार्डियोलोजी, मेडिसिन, सर्जरी, आर्थोपेडिक्स आदि विभाग जुड़े रहते है। साथ ही, इसमें आईसीयू की भी व्यवस्था रहती और जटिलता होने पर ट्रॉमा सेंटर के बगल में सुपर स्पेशिएलटी ब्लाक होता है।

लेवल टू- इसमें ट्रॉमा सेंटर में अलग से स्टाफ होता है। यहां सर्जन, एनेस्थेटिक, आर्थोपेडिक सर्जन, बाल रोग विशेषज्ञ, ईएमओ सहित अन्य चिकित्सकों की नियुक्त होती है। इसके अलावा स्टाफ नर्स, वार्ड ब्वाय, फार्मासिस्ट सहित अन्य कर्मचारियों का स्टाफ होता है। संसाधनों में आधुनिक उपकरण, कलर एक्सरे, डिजिटल अल्ट्रासाउंड, सीटी स्कैन, वेंटीलेटर व आईसीयू की भी व्यवस्था होती है।

चंदौली जिले की खबरों को सबसे पहले पढ़ने और जानने के लिए चंदौली समाचार के टेलीग्राम से जुड़े।*