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15 मार्च को कोर्ट में सरकार देगी जवाब, अगले आदेश के बाद पंचायत चुनाव का बदलेगा रुख

tds_top_like_showtds_top_like_showtds_top_like_showtds_top_like_showtds_top_like_show चंदौली जिले में हाईकोर्ट में दाखिल जनहित याचिका के मामले में आए आदेश के बाद चुनाव प्रचार में ढिलाई दिखायी देने लगी है। कई लोगों को लगने लगा है कि अगर आरक्षण बदला तो उनके पैसे पानी में डूब जाएंगे। इसीलिए प्रचार व खाने पीने वाली पार्टियों का सिलसिला बहुत कम हो गया है। कुछ
 
15 मार्च को कोर्ट में सरकार देगी जवाब, अगले आदेश के बाद पंचायत चुनाव का बदलेगा रुख

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चंदौली जिले में हाईकोर्ट में दाखिल जनहित याचिका के मामले में आए आदेश के बाद चुनाव प्रचार में ढिलाई दिखायी देने लगी है। कई लोगों को लगने लगा है कि अगर आरक्षण बदला तो उनके पैसे पानी में डूब जाएंगे। इसीलिए प्रचार व खाने पीने वाली पार्टियों का सिलसिला बहुत कम हो गया है। कुछ जगहों पर बंद भी हो गया है।

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने जनहित याचिका की सुनवाई करते हुए पंचायत आरक्षण के अंतिम प्रकाशन पर रोक लगा दी है। इससे दावेदारों व जिला प्रशासन में खलबली मच गई है। इसके बाद ग्राम पंचायत पदों के आरक्षण में व्यापक स्तर पर बदलाव के आसार जताए जा रहे हैं। इससे गांवों में भी चुनावी समीकरण एक बार फिर से बदल सकते हैं।

300 से अधिक आपत्तियां

आपको याद होगा कि शासन के निर्देश पर जिला प्रशासन ने आरक्षण सूची का प्रथम प्रकाशन किया था। आरक्षण सूची को लेकर तमाम तरह के सवाल खड़े होते रहे। खासतौर से ग्राम प्रधान पद का आरक्षण लोगों को रास नहीं आ रहा था। इसको लेकर आपत्तियों की भरमार रही। चंदौली जिले में भी 300 से अधिक आपत्तियां आईं।

आरक्षण सूची के अंतिम प्रकाशन की तिथि 13 मार्च निर्धारित की गई थी, लेकिन इससे पूर्व ही हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर हो गई। इस पर सुनवाई करते हुए उच्च न्यायालय ने आरक्षण के अंतिम प्रकाशन पर रोक लगा दी।

15 मार्च को कोर्ट में सरकार देगी जवाब, अगले आदेश के बाद पंचायत चुनाव का बदलेगा रुख

15 मार्च को सरकार देगी जवाब

अब प्रदेश सरकार को 15 मार्च को अपना पक्ष रखने को कहा गया है। आरक्षण का प्रकाशन रोके जाने से प्रशासन की तैयारियां भी ढीली पढ़ गयीं हैं। अब हर किसी को सरकार के द्वारा दाखिल किए जाने वाले जवाब और कोर्ट के आने वाले फैसले का इंतजार है। नेता लोग भी उसी के अनुसार अपनी आगे की योजना बनाएंगे।

उम्मीदवारों में मायूसी

प्रथम आरक्षण सूची के अनुसार चुनाव की तैयारी में जुटे संभावित उम्मीदवारों में मायूसी छा गई। वहीं मनमाफिक आरक्षण न होने से अब तक मायूस रहे लोगों की खुशी का ठिकाना नहीं। उन्हें फिर से उम्मीद जग गई है। गांवों में चुनावी समीकरण बदलने लगे हैं। लोगों में ऊहापोह की स्थिति पैदा हो गई है। संभावित उम्मीदवारों ने चुनावी पार्टियां रद कर दीं। उन्हें आशंका सताने लगी है कि कहीं आरक्षण बदल गया तो उनके किए-धरे पर पानी फिर जाएगा।

लोगों को न्यायालय के अगले कदम का इंतजार है। ग्राम प्रधानों का कार्यकाल दिसंबर 2020 में ही समाप्त हो गया। एडीओ पंचायतों को प्रशासक बनाकर गांवों की कमान सौंपी गई है, लेकिन वे कुछ खास नहीं कर पा रहे हैं। मिनी सचिवालय व सामुदायिक शौचालय समेत अन्य विकास कार्य ठप पड़े हैं। कई गांवों में बजट के अभाव में विकास कार्यों पर ब्रेक लग गया है। ऐसे में विकास कार्यों को जारी रखने के लिए चुनाव कराना बेहद जरूरी हो गया है।

कोर्ट के आदेश पर नजर

जिला पंचायत राज अधिकारी ब्रह्मचारी दुबे ने बताया कि न्यायालय के आदेश के अनुसार फिलहाल आरक्षण सूची का अंतिम प्रकाशन रोक दिया गया है। शासन के निर्देश पर आगे की कार्रवाई की जाएगी। जैसा कोर्ट का आदेश होगा, उसी के हिसाब से कार्य किया जाएगा।

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